अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार की घोषणा हो चुकी है। कुल 33 नए मंत्रियों के नामों की घोषणा की गई है। इन नामों में शामिल कई ऐसे नाम है जो आंतकवादियों की लिस्ट में टॉप पर हैं। कुछ ऐसी ही कहानी है तालिबान के नए रक्षा मंत्री की।

अफगानिस्तान के नए रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब, तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का बेटा है। मुल्ला उमर 1999 में हुए भारतीय विमान IC-814 के हाईजैक का मास्टरमाइंड था। जिसे कंधार प्लेन हाईजैक भी कहा जाता है।

काठमांडू से दिल्ली आ रहे विमान को हथियारबंद आतंकवादियों ने अपहरण कर लिया था। इस प्लेन में क्रू मेम्बर के साथ 191 लोग सवार थे। विमान का अपहरण करके अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया था। इस विमान में मौजूद लोगों को बचाने के लिए तब भारत सरकार को जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मौलाना मसूद अजहर, आतंकी मुश्ताक अहमद जरगर और ब्रिटिश मूल के अल-कायदा आंतकी अहमद उमर सईद शेख को रिहा करना पड़ा था। कहा जाता रहा है कि इस विमान हाईजैक के पीछे पाकिस्तान की सैन्य खुफिया एजेंसी आईएसआई का भी हाथ था।

तालिबान की सरकार में शामिल कई ऐसे नाम हैं जो ये स्पष्ट कर रहा है कि इस सरकार में पाकिस्तान का बहुत बड़ा हाथ है। रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब, गृहमंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी और खुद पीएम मुल्ला हसन अखुंद ये सारे नाम तालिबान के पाकिस्तान प्रेम को स्पष्ट करते हैं।

जब अमेरिका इन्हें अफगानिस्तान में खोज रहा था, तब ये पाकिस्तान में छुपे थे और पाकिस्तानी सरकार ने इन्हें अपने यहां पनाह दे रखा था। यहीं बैठे-बैठे ये तालिबानी और हक्कानी संगठन के नेता अफगानिस्तान में अमेरिका के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे।

मुल्ला मोहम्मद याकूब को मई 2021 में तालिबान सैन्य आयोग का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया गया था। इसकी नियुक्ति भी तालिबान के अदंर उत्पन्न हो रहे मतभेदों के कारण हुई थी।

बताया जाता है कि सिराजुद्दीन हक्कानी और मुल्ला याकूब दोनों एक ऐसी सरकार चाहते थे जिसका सैन्य दृष्टिकोण हो, जहां नेतृत्व सेना के पास रहे, न कि बरादर द्वारा समर्थित राजनीतिक नेताओं के पास। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार याकूब की महत्वाकांक्षा तालिबान के शीर्ष नेता बनने की है।

जबकि हक्कानी नेटवर्क भले ही तालिबान के साथ हो, सरकार में शामिल हो, लेकिन वो अभी भी एक स्वतंत्र संगठन बना हुआ है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, तालिबानी ढांचे के भीतर, हक्कानी नेटवर्क सिराजुद्दीन हक्कानी ने सबसे ज्यादा तालिबानी लड़ाकों को जंग के लिए तैयार किया है। हक्कीनी के पास विस्फोट और रॉकेटों के बनाने की भी तकनीक है। साथ ही इसके लड़ाके बड़े हमलों को अंजाम देने में ज्यादा सक्षम हैं।

अगर हक्कीनी समूह का तालिबान सरकार में ज्यादा पावर रहा तो पाकिस्तान इसे भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है। हक्कानी नेटवर्क पहले भी काबुल में भारतीय दूतावास को निशाना बना चुका है।