उत्तर प्रदेश के आगरा से दिल को दुखाने वाली एक घटना सामने आई है। यहां एक कुत्ते के काटने से बच्ची की मौत हो गई। बच्ची को आवारा कुत्ते ने लगभग 15 दिनों पहले काटा था। बच्ची ने इस बारे में सिर्फ अपनी मां को बताया। मां बच्ची को रेबीज का टीका दिलवाने के बजाय उसका घरेलू इलाज करती रही। हुआ ये कि 15 दिन बाद बच्ची में रेबीज का असर दिखने लगा। उसके अंदर रेबीज के लक्षण नजर आने लगे। हालात बिगड़ने पर परिवार के लोग बच्ची को अस्पताल लेकर गए मगर उसकी मौत हो गई।

15 दिन बाद दिखने लगे रेबीज के लक्षण

बच्ची को टीका ना लगवाने के कारण उसके अंदर 15 दिनों बाद रेबीज के लक्षण दिखने लगे। इसके बाद उसकी हालत बिगड़ने लगी और उसकी मौत हो गई। दरअसल, 15 दिन पहले पिनाहट के एक गांव में खेलते समय 8 साल की पूनम पर आवारा कुत्ते ने हमला कर दिया। कुत्ते ने बच्ची को काट लिया था। बच्ची ने घर आकर मां को इस बारे में बताया। परिवार के किसी और सदस्य को इस बारे में पता नहीं था। मां अपनी बच्ची का घरेलू इलाज करती रही। उसे लगा कि उसकी बेटी को कुछ नहीं होगा, वह ठीक हो जाएगी।

घरेलू इलाज करती रही मां

इस मामले पर आगरा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एके श्रीवास्तव ने बताया कि बच्ची ने अपनी मां के अलावा अपने परिवार में किसी को भी इस घटना के बारे में नहीं बताया। उसे जरूरी एंटी-रेबीज वैक्सीन (एआरवी) देने के बजाय कुछ घरेलू उपचार दिए गए। परिवार के लोग बच्ची को तब अस्पताल लेकर आए जब उसके अंदर 15 दिनों के बाद लक्षण दिखने लगे।
उसकी हालत गंभीर होने के बाद उसे नजदीकी अस्पताल ले जाया गया। अधिकारी ने बताया कि डॉक्टरों ने उसे आगरा के एक बड़े अस्पताल में रेफर कर दिया लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई।

कुत्ते के काटने के बाद रेबीज का टीका है जरूरी

सीएमओ श्रीवास्तव ने आगे कहा कि रेबीज के कारण 100 प्रतिशत लोगों की मौत हो जाती है। इसलिए अगर आपको कुत्ते ने काट लिया है तो चुप न रहे। आपको उचिच इलाज कराना चाहिए। अस्पतालों में रेबीज के टीके मौजूद हैं।

मामले में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के प्रमुख डॉ. जितेंद्र वर्मा ने भी कहा कि बच्ची के परिवार ने उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाने में देरी कर दी। कुत्ते के काटने के बाद पीड़ित को एआरवी की पहली खुराक 24 घंटे के भीतर दी जानी चाहिए। इसके बाद तीसरे दिन और फिर सातवें दिन दूसरी खुराक दी जानी चाहिए। आखिरी खुराक 28वें दिन दी जानी चाहिए।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, आगरा के ग्रामीण और शहरी इलाकों में हर महीने कुत्तों के काटने के 5,000 से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं।