‘सुविधा की भर्ती’ (संपादकीय, 21 अगस्त) सच के करीब लगा। आज किसी भी पद के लिए आवेदन से लेकर उसकी परीक्षा की तैयारी तक विद्यार्थियों को कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं, यह दुविधा प्रतियोगी ही जानते हैं। अलग-अलग पदों के लिए तैयारियों के साथ ही आर्थिक नुकसान भी उन्हें उठाना पड़ता है। सरकार ने उनके दुख को समझते हुए राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी की घोषणा की है, जो सौ बीमारी के एक इलाज के समान है। इस निर्णय से प्रतियोगी युवाओं को एक ही मेहनत का कई गुना फल मिल सकेगा। बेगारी से पीड़ित युवाओं के घाव पर सरकार का यह मरहम प्रासंगिक तो है, पर इसे ईमानदारी से भी लागू करने की जरूरत है। इस मामले में अगर सरकार शुरू से ही सख्त रही तो आने वाला समय युवाओं का स्वर्णिम हो सकता है।
’अमृतलाल मारू, धार, मप्र
चौपाल: एक परीक्षा
आज किसी भी पद के लिए आवेदन से लेकर उसकी परीक्षा की तैयारी तक विद्यार्थियों को कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं, यह दुविधा प्रतियोगी ही जानते हैं। अलग-अलग पदों के लिए तैयारियों के साथ ही आर्थिक नुकसान भी उन्हें उठाना पड़ता है। सरकार ने उनके दुख को समझते हुए राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी की घोषणा की है, जो सौ बीमारी के एक इलाज के समान है।
Written by संजय दुबे

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First published on: 22-08-2020 at 05:19 IST