आजादी के लगभग सात दशक बाद भी हमने महिलाओं को गुलाम बना रखा है। हम महिलाओं पर अत्याचार कर रहे हैं। दहेज न मिलने पर उन्हें प्रताड़ित करते हैं। बलात्कार करके सड़कों पर फेंक देते हैं या मार कर लाश को पेड़ पर लटका देते हैं। आज भी लड़कियों को पैदा होने से पूर्व पेट में ही मार दिया जाता है। पुरुषों के लिए महिलाएं सिर्फ उपभोग की वस्तु हैं।
हमारे संविधान में सबको समानता का अधिकार दिया गया है लेकिन महिलाओं के साथ समानता का व्यवहार नहीं किया जाता। उन्हें बार-बार अहसास कराया जाता है कि आप एक स्त्री हैं और आपसे यह काम नहीं होगा या नहीं कर सकती। यह बहुत गलत बात है। अगर 68 साल बाद भी महिलाओं को समानता का अधिकार नहीं मिला तो कहना गलत नहीं होगा कि भारत सिर्फ पुरुषों के लिए आजाद हुआ था, महिलाओं के लिए नहीं।
सवाल है कि आखिर महिलाओं को आजादी कब मिलेगी? जिस दिन महिलाओं के साथ समानता का व्यवहार किया जाएगा, उन्हें गंदी नजरों का सामना नहीं करना पड़ेगा, उनके मन में किसी बात का भय नहीं रहेगा उस दिन हम कह सकेंगे कि महिलाओं को भी आजादी मिल गई।
प्रियंक द्विवेदी, भोपाल
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