जिस तरह व्यापम घोटाले से जुड़े लोगों की मौत हो रही है, उसी प्रकार आसाराम पर लगे आरोपों के गवाहों की लगातार हत्या कराई जा रही है।
लेकिन इस गंभीर मामले पर पक्ष और विपक्ष ने अजीब मौन साध रखा है। क्या देश के राजनीतिक दल तभी बोलेंगे, जब उन्हें कोई राजनीतिक लाभ मिलने की उम्मीद होगी? या फिर वे बेगुनाहों की मौत की संख्या के बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं?
यश वीर आर्य, नई दिल्
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