ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब महिलाओं पर अत्याचार की खबरें सुनने-पढ़ने को न मिलती हों। महिलाओं पर जुल्म बढ़ते ही जा रहे हैं और अपराधी वारदात के बाद भी सरेआम घूमते रहते हैं। अगर आरोपी पकड़ में आते हैं तो जल्दी दंड नहीं मिलता क्योंकि धीमी कानूनी कार्यवाही इनके लिए वरदान बनी हुई है। यही वजह है कि अपराधियों के दिलों में पुलिस और कानून का कोई भय नहीं है।

सरकार महिला-सुरक्षा संबंधी बड़े-बड़े दावे करती है। इस मद में करोड़ों रुपए खर्च करने के अलावा उनकी सुरक्षा के लिए सख्त कानून भी बनाए गए हैं। मगर क्या इतना सब कुछ होने के बावजूद महिलाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं? इसका उत्तर नहीं में ही होगा क्योंकि आएदिन महिलाओं के साथ दुराचार, बसों और ट्रेनों में छेड़छाड़ की खबरें आती रहती हैं।

महिलाओं को इस तरह की घटनाओं का मुकाबला करने योग्य बनाने के लिए मार्शल आर्ट एक अच्छा कदम हो सकता है, जिसकी आजकल ट्रेनिंग भी दी जा रही है। इसके साथ ही केंद्र सरकार को चाहिए कि महिला-सुरक्षा संबंधी कानून सख्ती से लागू किए जाएं ताकि आरोपियों को जल्दी सजा मिल सके और ऐसे लोगों के मन में कानून का भय पैदा हो।

मोहन लाल सोलंकी, दिल्ली

 

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