रोमियो के बहाने
कई पार्टी प्रवक्ता और नेता एंटी-रोमियो-स्क्वॉड के नामकरण पर यह कह कर आपत्ति जता रहे हैं कि रोमियो लंपट या बाजारू प्रेमी नहीं था। वह तो एक सच्चा प्रेमी था जिसने जूलिएट के लिए अपनी जान दे दी थी। दरअसल, रोमियो का अर्थ-संकोच हो गया है जो भाषाविज्ञान का एक नियम है। आज भी बड़े बुजुर्ग जब किसी मनचले को किसी लड़की को छेड़ते देखते हैं तो डांटते हुए उनके मुंह से निकल पड़ता है, ‘बड़ा आया रोमियो कहीं का’, ‘मजनंू की औलाद’ आदि-आदि। बात आज के मजनुओं और रोमियों की हो रही है, रोमियो-जूलिएट या लैला-मजनूं गाथाओं के अमर प्रेम-नायकों की नहीं।
यहां यह कहना भी आवश्यक है कि भारतीय मानस में बसे किसी अवतार अथवा महापुरुष की छवि के साथ जो स्वरूप लोकमन में बस कर लोकरंजन और लोकरक्षण का प्रतीक बन चुका हो, उस पर सतही विमर्श अथवा उसकी सर्व-स्वीकृत छवि के साथ छेड़छाड़ लोक भावनाओं को आहत कर सकती है। विरोध जताने के और भी कई सारे तरीके और उपाय हो सकते हैं।
शिबन कृष्ण रैणा, अलवर
पर्यटन की सुध
समय के साथ पर्यटन का दायरा बढ़ रहा है तो पर्यटन का मतलब भी बदलता-सा लग रहा है। मौज-मस्ती के नाम पर अब पर्यटक स्थलों पर गैर कानूनी और घिनौने कार्य किए जा रहे हैं जो देश की छवि के लिए ठीक नहीं हैं। ‘रेव पार्टी’ के नाम पर विदेशियों ने एक तरह से यौन व्यापार ही चला रखा है। ड्रग्स का खुलेआम क्रय-विक्रय हो रहा है। पर्यटन स्थलों पर हत्या, बलात्कार जैसे अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। यहां आने वाले कुछ विदेशी सैलानी भी अपनी संस्कृति के नाम पर सभी बुराइयां फैला रहे हैं। मसाज पार्लर के नाम पर घिनौने कृत्य किए जा रहे हैं। चाइल्ड सेक्स टूरिज्म के मामले में गोवा के अब थाईलैंड, कंबोडिया और वियतनाम के साथ स्पर्धा करने की चर्चा जोरों पर है। होटलों की निगरानी के नाम पर कुछ नहीं होता दिख रहा है। जब छापे पड़ते हैं तब कुछ खबरें निकल कर आती हैं।
पर्यटन स्थल तमाम तरह के माफिया और सौदागरों के अड्डे बन कर रह गए हैं और नशे से लेकर आतंकवाद तक का दंश झेल रहे हैं। कश्मीर में तो पर्यटन उद्योग आतंक के साए में लगभग दम तोड़ चुका है जबकि इसे धरती के स्वर्ग के नाम से संबोधित किया जाता है। टूरिस्ट पुलिस का होना ऐसे स्थानों पर अनिवार्य किया जाना चाहिए। पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय इन अनैतिक रुझानों पर तुरंत ध्यान दें। इसके साथ ही पर्यटन विकास के लिए दीर्घकालीन रणनीति भी अपनानी होगी।
संतोष कुमार, बाबा फरीद कॉलेज, बठिंडा