महाराष्ट्र, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश में टोल टैक्स में मनमानी बढ़ोतरी के खिलाफ कई बार लोगों का गुस्सा हिंसा या उपद्रव के रूप में फूटा है। विरोध जताने के इस तरीके का पक्ष नहीं लिया जा सकता। पर जैसा कि कैग की रिपोर्ट भी जाहिर है, टोल के तौर पर लोगों से ज्यादा कीमत वसूली जा रही है।
मसलन, दिल्ली से जयपुर, आगरा जैसे शहरों को जोड़ने वाली कई सड़कें सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल के तहत बनाई गई हैं। इन सड़कों को तैयार करने वाली कंपनियां बरसों से टोल वसूलती रही हैं। जबकि कई जगहों पर इन सड़कों को बनाने पर आया खर्च और मुनाफा काफी पहले ही वसूला जा चुका है।
लगभग पांच महीने पहले एक मामले की सुनवाई करते हुए जयपुर उच्च न्यायालय ने राज्य में जयपुर-दिल्ली राजमार्ग पर काम पूरा होने से पहले ही टोल वसूली शुरू कर देने और सड़क की खराब हालत पर सख्त एतराज जताया था। लेकिन अदालत की उस फटकार के बावजूद कोई फर्क नहीं पड़ा।फिर पीपीपी मॉडल का हासिल क्या है?
विनोद पुरोहित, मालवीय नगर, जयपुर
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