किसी भी महिला या पुरुष से पूछा जाए कि रक्षाबंधन का त्योहार क्यों मनाया जाता है तो साधारण-सा जवाब मिलता है कि इस दिन बहन भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है और अपनी रक्षा का वचन लेती है।
आज महिला सशक्तीकरण के युग में भी कोई महिला अपनी रक्षा के लिए किसी पुरुष पर निर्भरता दिखाए और उसे एक त्योहार के रूप में मनाया जाए, यह सही नहीं लगता। इस त्योहार की प्रासंगिकता मध्यकाल में थी जब शारीरिक बल अधिक मायने रखता था।
आज के परमाणविक युग में कोई व्यक्ति अपनी रक्षा की गारंटी तो ले नहीं सकता वह बहन की रक्षा करेगा ऐसा कहना तर्कसंगत नहीं लगता। आज जरूरत है महिलाओं को सशक्त बनाने की।
सौरभ यादव, जयपुर
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