थाइलैंड में 2020 की शुरुआत से विरोध प्रदर्शन जारी है। प्रधानमंत्री प्रयुत चान-ओ-चा की सरकार के खिलाफ पहले प्रदर्शन में राजशाही में सुधारों की मांग की गई। विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत फरवरी 2020 के अंत में फ्यूचर फॉरवर्ड पार्टी के विघटन से हुई, जो महत्त्वपूर्ण थी। प्रयात की सरकार के विरुद्ध राजशाही में सुधारों के लिए प्रदर्शन हुए।
दरअसल, 2017 में संविधान और देश के परिदृश्य में जो परिवर्तन हुए, उन्होंने इन विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया। आज लोग सड़कों पर राजशाही के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। आधुनिक युग में राजशाही के लिए कोई जगह नहीं है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। यहां लोगों को अधिकार और कर्तव्य दोनों मिले हुए हैं। इसी तरह से थाइलैंड में भी लोगों को मिलने चाहिए। ब्रिटेन में भी राजशाही है, लेकिन वहां पर राजशाही की शक्तियां सीमित हैं। थाइलैंड में भी राजा को लोकतंत्र के लिए रास्ता बनाना चाहिए। अगर राजशाही अपनी ओर से पहल करता है तो उसे लोगों का समर्थन और सम्मान भी मिल सकता है। वरना लोग जिस तरह आंदोलन कर रहे हैं, उसमें राजशाही के लिए खुद को ज्यादा देर बनाए रखना मुमकिन नहीं होगा।
’नरेंद्र कुमार शर्मा, जोगिंदर नगर, हिप्र
इंदौर की मिसाल
हम सभी जानते हैं कि इंदौर मध्यप्रदेश का सबसे स्वच्छ शहर है। लेकिन अब लंदन या मास्को तक पहुंचे इंदौर के चर्चे तो यह सबके लिए गर्व और प्रेरणा की बात है। हाल ही में वर्ल्ड एकोनॉमिक फोरम ने इंदौर को पूरी दुनिया के स्मार्ट शहरों के ‘लीडर’ के तौर पर चुना है जो भविष्य में दुनिया के शहरों को दिशा दिखाएगा। इन शहरों को स्मार्ट सिटी परियोजना में अग्रणी भूमिका निभाने और योजना बनाने के लिए चुना गया है। इथियोपिया के शहर बहिरदार को भी वेस्ट मैनेजमेंट इंदौर सिखाएगा। जैसा कि हम जानते है कि इंदौर ने ही सबसे पहले ‘वेस्ट टू जॉब’ के जरिए कचरे से कमाई का मॉडल पेश किया है। अब जरूरत है तो ग्रामीण क्षेत्रों के इस प्रारूप पर विकास की। घर-घर कचरा संग्रह अभियान को जागरूकता देने की जरूरत है।
’खुशबू वेद, आलोट, मप्र