मोदी सरकार ने काले धन को समाप्त करने के लिए नोटबंदी जैसा बड़ा कदम उठाया है पर सच्चाई है कि राजनीतिक पार्टियां ही काले धन को सबसे ज्यादा बढ़ावा देती हैं। आज सभी पार्टियों को छूट है कि बीस हजार रुपये से कम के चंदे के लिए उन्हें दानकर्ता का नाम बताने की जरूरत नहीं है। इसकी आड़ में पार्टियां अपने खातों में भारी मात्रा में नकदी जमा कराती हैं और कह देती हैं कि यह सारी धनराशि बीस हजार रुपए से कम मिले चंदे की है। जबकि असल में यह काला धन होता है जो उन लोगों से मिलता है जो इन राजनीतिक पार्टियों से कुछ न कुछ लाभ उठाने की मंशा रखते हैं। यह नियम राजनीतिक भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा कारण है। अब समय आ गया है कि इस नियम को समाप्त कर दिया जाए।
’बृजेश श्रीवास्तव, गाजियाबाद