हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जहां इतनी जनसंख्या लोकतंत्र के महापर्व में सहभागी बनती है। हर एक व्यक्ति की लोकतंत्र में अपनी आस्था होती है जो उसके अधिकारों को सुनिश्चित करती है। इसी प्रकार हर एक व्यक्ति की अपनी एक राजनीतिक समझ होती है, जिसमें विचारधारा, क्षेत्र और मुद्दों के अनुसार वह अपने जनप्रतिनिधि को विधानसभा और लोकसभा में चुन कर भेजता है और अपने प्रतिनिधि से आशा करता है कि उन तमाम मुद्दों और विचारधारा के अनुरूप वह राजनीतिक प्रतिनिधत्व को आगामी पंचवर्षीय कार्यकाल तक बरकरार रखे।
लेकिन अक्सर ही विधायक और सांसद अपने निजी स्वार्थों को देखते हुए पार्टी बदल देते हैं। वे भूल जाते हैं कि हमें हमारी जनता ने किस उद्देश्य को लेकर अपने प्रतिनिधि के रूप में स्वीकार्यता प्रदान की थी। लगातार इस प्रकार की घटनाओं से आम जनता को आघात पहुंचता है।
वह पांच वर्ष तक इस लोकतंत्र में ठगा महसूस करता है। इस प्रकार के दल-बदलू नेता लोकतंत्र की विश्वसनीयता के ऊपर स्वार्थ की परत चढ़ा रहे हैं। अगर हमें इस महान लोकतंत्र में आम जनमानस का खयाल करते हुए एक सख्त कानून बनाना चाहिए, जिसमें पार्टी सदस्यता के साथ-साथ जनमानस का प्रतिनिधित्व भी समाप्त कर उपचुनाव कराया जाए, ताकि आम जनता का लोकतांत्रिक विश्वास बरकरार रहे जो देश के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण है।
’शैलेश मिश्र, बीएचयू, उप्र
कुंठित अपराधी
हरियाणा के बल्लभगढ़ में सरेराह एक लड़की की ओर से साथ जाने से मना करने पर दो ने मिल कर युवती की हत्या कर दी। आपसी विवाद की सूचना दो वर्ष पूर्व देने के बाद भी शासन और प्रशासन द्वारा समय पर कार्रवाई न होने से अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हो गए कि उसकी परिणति हत्याकांड में हुई। हालांकि अपराधी पकड़े जा चुके हैं, लेकिन यह वारदात दिल दहलाने वाली है। अपराधियों को ऐसी कठोर सजा मिलनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसे अपराध की पुनरावृत्ति न हो।
’बीएल शर्मा ‘अकिंचन’, तराना, उज्जैन,
