पाकिस्तान बार-बार संघर्ष विराम को तोड़ रहा है। तमाम नियम-कानून और वायदों (जो पहले किए जा चुके हैं) के बावजूद संघर्ष विराम का टूटना बताता है कि सेना वहां की सियासत पर कितनी भारी है।

पाकिस्तान के झूठे वायदे, सेना का निरंतर दखल, सियासत की अपरिपक्व सोच और नेताओं का अगंभीर रवैया बतलाता है कि पाकिस्तान शांति की स्थापना और आतंकवाद के खात्मे के लिए कितना प्रतिबद्ध है!

राकेश कुमार, करावल नगर, दिल्ली

 

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