चंद माह पहले पेशावर से यह समाचार आ रहा था कि अदाकार दिलीप कुमार और राजकपूर का पुश्तैनी मकान को स्थानीय सरकार द्वारा गिराने का फैसला किया गया है। तब काफी दुख हुआ था। मगर आज जब यह सुनने में आ रहा है कि खैबर-पख्तूनख्वा सरकार द्वारा उन दोनों इमारतों को न सिर्फ खरीदने, बल्कि उन्हें ऐतिहासिक इमारत घोषित करके उनका पुनरुद्धार करने का फैसला किया गया है।

इस फैसले से बंटवारे के पूर्व का भारत एक प्रकार से पुनर्जीवित हो गया। हमें शुक्रगुजार होना चाहिए खैबर-पख्तूनख्वा सरकार का, जिसने हमारे देश के दो महान कलाकारों को इतनी इज्जत दी। मगर हमने अपने कलाकारों के साथ क्या किया?

जुहू स्थित उस कब्रिस्तान को इमारत के लिए खोद डाला, जहां महान गायक मो रफी, नौशाद, महान अभिनेत्री मधुबाला आदि की कब्रें थीं। बहुत नाइंसाफी की गई इन दिवंगत कलाकारों के साथ।
’जंग बहादुर सिंह, जमशेदपुर, झारखंड</p>