नेपाल के प्रलयंकारी भूकम्प ने हम मनुष्यों को कुछ सबक सिखाए हैं। कुदरत पूरी तरह से, सही मायने में सेक्युलर है। हिंदू, मुसलिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी आदि जैसे भेदभाव किए बिना ही वह सब कुछ करती है, मौत की नींद भी सर्वधर्म समभाव से ही सुला देती है।
क्या हम कुदरत से सीख कर मानवता को मजहब, धर्म, जाति अन्य विभेदों की काली छाया से दूर नहीं रख सकते हैं!
हंसराज भट, मुंबई
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