लगातार सामने आ रहे घटनाक्रमों से अब यह लगने लगा है कि नारे केवल भरमाने के औजार रह गए हैं। नरेंद्र मोदी सरकार के ‘सबका साथ सबका विकास’ के नारे की पोल अब सामने आ रही है। विकास की रट लगाने वाली सरकार का एजेंडा हिंदुत्व पर आकर ठहर गया लगता है। आरएसएस और उसके बहुनामी विश्व हिंदू परिषद, हिंदू धर्म जागरण मंच आदि के द्वारा एक सोची-समझी रणनीति के तहत धर्मनिरेपक्ष भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की दिशा में ताबड़तोड़ काम करना शुरू कर दिया गया है। न तो नरेंद्र मोदी और न उनके किसी और प्रवक्ता के द्वारा मोहन भागवत, अशोक सिंघल, राजेश्वर सिंह, प्रवीण तोगड़िया के भारत को सौ फीसद हिंदू राष्ट्र बनाने संबंधी दिए गए वक्तव्यों का कोई खंडन या विरोध सामने आया। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी भाजपाई प्रवक्ता संघ परिवार की भाषा बोलते हुए धर्मांतरण पर कानून बनाने के लिए विपक्ष को ललकारते नजर आते हैं। धर्मांतरण को लेकर जो कानून बनाने की बात भाजपा कर रही है, उसमें ईसाई या मुसलिम से हिंदू बनने को धर्मांतरण न मान कर ‘घर वापसी’ की संज्ञा दी जा रही है। ऐसे धर्मांतरण करवाने वाला व्यक्ति कानून के दायरे से बाहर रहेगा।
विश्व में जहां भी धर्म में राजनीति या राजनीति में धर्म ने घुसपैठ की है, इंसानियत खतरे में आई है, अशांति और विनाश सामने आया है। मोदी सरकार के जिस विकास के एजेंडे को बहुत ज्यादा प्रचारित किया गया है और विकास को लोगों के सिर चढ़ाने के लिए मोदी के विदेश दौरों की लंबी सूची सामने आई है, वह विदेशी निवेश के आमंत्रण के लिए ‘लाल जाजम’ बिछा रही है।
सपने दिखा कर वाहवाही लूटना और उनकी खामखयाली में चुनाव जीतना भी संभव है। लेकिन जब सपनों का सच जमीन नहीं छू पाता तो मोहभंग होते भी देर नहीं लगती। विकास से हिंदुत्व की ओर बढ़ता मोदी सरकार का एजेंडा कहीं न कहीं इसी ‘भय’ के दौर से गुजर रहा है। ‘विदेशी निवेश’, ‘मेक इन इंडिया’ का जितना हल्ला हुआ, छह माह बीत जाने के बाद भी सामने कुछ नहीं आया। जिन नौजवानों को रोजगार के सपने दिखाए गए हैं, उनके हाथ अब तक कुछ भी नहीं लगा। मोहभंग से पैदा होने वाला आक्रोश सरकार के लिए बड़ी मुसीबत न बन जाए, इसी भय की छाया में अपने ‘संघी’ सहोदरों को ऐसे एजेंडे को पकड़ा दिया है, जिसमें जनता के सिर पर सपने और वादे छाए रहें, लेकिन उनकी जमीन दिखाई न दे। इसी मकसद से लोगों की आंखों पर सांप्रदायिकता का चश्मा चढ़ाने की कोशिशों ने जोर पकड़ लिया है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कोलकाता में विश्व हिंदू परिषद के सम्मेलन को संबोधित करते हुए ऐलान कर दिया कि युवाओं की जवानी जाने से पहले भारत ‘वैभवशाली हिंदू राष्ट्र’ बन जाएगा। देश के संवैधानिक ढांचे के इतर बयानबाजी सत्तारूढ़ भाजपा के विचार-पोषकों की ओर से हो रही है, जिस पर संसद में स्पष्टीकरण मांगे जाने के बाद भी प्रधानमंत्री बचते दिख रहे हैं।
जिस मनमोहन सिंह को सोनिया गांधी का ‘कठपुतली’ बताते हुए खुद नरेंद्र मोदी अपने भाषण में तालियां पिटवाते नहीं थकते थे, वे अब अपनी चुप्पी के लिए किसे जिम्मेदार ठहराएंगे? उनका मौन मनमोहन सिंह के मौन और उनके चेहरे की याद दिला रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा और आरएसएस इनमें विवाद की बात तभी हो सकती, जब वे अपने विचारों से हट कर बात करें। इनमें से कोई भी विचारों से इतर बयानबाजी नहीं कर रहा है। यह सिर्फ जनता को वहम में रखने के लिए सच्चाई से कोसों दूर मात्र प्रपंच है।
’रामचंद्र शर्मा, तरूछाया नगर, जयपुर
फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करें- https://www.facebook.com/Jansatta
ट्विटर पेज पर फॉलो करने के लिए क्लिक करें- https://twitter.com/Jansatta
