हमारे देश में माता-पिता को भगवान के बराबर का सम्मान दिया जाता है। माता-पिता अपने बच्चों को बड़े प्यार से पालते हैं। वे उन्हें स्कूल और कॉलेज भेजते हैं। इसके बाद उनकी शादी करने के लिए अपना बाकी पैसा खर्च करते हैं। लेकिन जब बच्चों की शादी हो जाती है तो वे अपने माता-पिता को वृद्धाश्रम में रहने के लिए कहते हैं, बुरा बर्ताव करते हैं।

कई बार बच्चे विदेश चले जाते हैं। मां-बाप की देखभाल करने के लिए कोई भी पीछे नहीं होता है। ऐसे मामले अक्सर सामने आते हैं कि अकेले अपने घर में रह रहे बुजुर्ग की मौत हो गई और कई दिनों बाद पड़ोसियों को मृत शरीर के गंध से पता चला। ऐसे संवेदनहीन बेटे-बेटियों को सजा मिलनी चाहिए।

यों बेटे-बेटियों को सोचना चाहिए कि आज वे जिस मुकाम पर हैं, अगर माता-पिता नहीं होते तो वे कहां होते।
’नरेंद्र कुमार शर्मा, जोगिंदर नगर, हिप्र

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