लगभग अड़तीस साल पहले कांग्रेस को परास्त करने के लिए उस समय के कांग्रेस विरोधी दलों ने विलय किया, लेकिन घटक दलों के नेताओं की महत्त्वाकांक्षाओं के कारण लगभग दो साल के अल्पकाल में ही वह नवगठित जनता पार्टी अपना अस्तित्व खो बैठी और फिर नए-नए दलों की उत्पत्ति हुई।

इन्हीं दलों के नेता अब किस उद्देश्य के लिए एकत्र हो रहे हैं? उनका एकमात्र उद्देश्य सत्ता हासिल करना ही है, जिसके लिए धुरविरोधी सिद्धांतहीन विलय पर राजी हुए हैं। अगर वास्तव में नवगठित दल के सभी नेता गंभीर हैं तो सत्तर साल की आयु तक के लोगों को ही इसमें जिम्मेदारी दी जाए जिससे जनता को भी लगे कुछ अच्छी शुरुआत हो रही है, अन्यथा पुरानी बोतल में नई शराब वाली बात ही होगी।
यश वीर आर्य, दिल्ली

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