प्रधानमंत्री जनधन योजना बड़े जोर-शोर से शुरू की गई, न जाने कितने करोड़ रुपया इसके प्रचार-प्रसार पर अपव्यय हुआ। जो जानकारी उपलब्ध कराई गई उसके अनुसार 31 जनवरी, 2015 तक 12.55 करोड़ बचत खाते, जिनमें से 11.08 करोड़ खाताधारकों को रूपे कार्ड जारी, लेकिन क्या होगा इन रूपे कार्डों का जब 8.45 करोड़ खातों में कोई धन है ही नहीं। जब तक धन नहीं होगा और कोई लेनदेन नहीं होगा, तब तक न दुर्घटना बीमा का लाभ मिलेगा और न ही पांच हजार रुपए तक के ओवरड्राफ्ट का लाभ।

चालीस बैंकों की विभिन्न शाखाओं में यह 12.55 करोड़ खाते खुले, लेकिन आश्चर्य इनमें से मात्र अठारह बैंकों को मात्र पचास दुर्घटना बीमा दावे मिले, उनमें से भी दस लोगों को भुगतान हुआ। जीवन बीमा की हालत इससे भी खराब है चालीस में से चौदह बैंकों को छत्तीस दावे मिले जिसमें से छह को ही भुगतान हुआ। अगर यही दशा रही तो यह निश्चित है कि खाताधारक आने वाले समय में बैंक की पासबुक और रूपे कार्ड बैंकों के कर्मचारियों को वापस ही नहीं करेंगे, अपना विरोध भी प्रकट करेंगे।
यश वीर आर्य, नई दिल्ली

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