फिल्म ‘स्टार’ सलमान खान को तेरह साल बाद पांच साल की सजा हुई, लेकिन कुछ घंटों के अंदर जमानत भी मिल गई। बेकसूर आदमी को कार हादसे में मार डालने का दाग ‘धोने के लिए’ सलमान को बाद में ‘अच्छे-अच्छे इंसानियत भरे’ काम करने पड़े।
हालांकि देश में यह न्याय व्यवस्था आम कैदियों या गरीबों के लिए उतनी सक्रिय नहीं। देश में करीब 2.54 लाख विचाराधीन कैदी जमानत नहीं मिलने के कारण जेल में बंद हैं। इनमें कई ऐसे लोग भी हैं जो निर्दोष हैं, लेकिन उन्हें जमानत मिलना मुश्किल है। इन विचाराधीन कैदियों में से कई तो ऐसे हैं जो अपनी सजा से भी ज्यादा वक्त जेल में काट चुके हैं।
कई विचाराधीन कैदी तो छोटी-मोटी चोरी के जुर्म में बंद हैं, क्योंकि उनके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वे अपनी जमानत का बॉन्ड भर सकें। छोटे अपराधों के मामलों में इतनी अधिक संख्या में विचाराधीन कैदियों को जेल में रखना न्याय के मान्य सिद्धांतों के विरुद्ध है। कई ऐसे मामले भी हैं जिनमें विचाराधीन कैदी सालों साल जेल में रह जाते हैं, लेकिन उनकी सुनवाई का नंबर भी नहीं आता। यह कैसा इंसाफ है!
हंसराज भट, मुंबई
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