अभी हाल में रोड रेज कही जाने वाली जो घटना तुर्कमान गेट दिल्ली में घटी है, उसके संदर्भ में यह बहुत जरूरी है कि दिल्ली में शासन कर रही आम आदमी पार्टी इस घटनाक्रम को बहुत गंभीरता से एक राजनीतिक पाठ की तरह पढ़े और उसके अनुसार अपना दायित्व सफलतापूर्वक निभाने के लिए खुद को तैयार करे। वह इस बात को बखूबी समझ ले कि उसके सामने आई यह कोई अकेली आकस्मिक घटना नहीं है बल्कि उसे खुद को ऐसी घटनाओं की रोकथाम और घट जाने पर उन्हें सूझबूझ से संभालने के लिए तैयार रहना चाहिए क्योंकि ये आगे और भी, किसी न किसी रूप में घटती रह सकती हैं।
‘आप’ के सामने यह स्पष्ट होना चाहिए कि वह भाजपा की आंख की किरकिरी है और अपने हाहाहूती बहुमत के बावजूद केंद्र में भाजपा इसलिए ज्यादा ताकतवर है कि दिल्ली की पुलिस पर उसका अख्तियार है, और तब तक रहेगा जब तक दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिल जाता। भाजपा की आंख की दूसरी किरकिरी है देश की मुसलिम आबादी, जिसका इशारा भाजपा और भाजपा के दूसरे घटक एलानिया तौर पर करते रहते हैं और मोदीजी, जो भले ही खुद इस नजरिए से इत्तेफाक न रखते हों, वे कमोबेश इस संदर्भ में लाचार हैं।
इस परिदृश्य समीकरण में यह साफ है कि तुर्कमान गेट की इस घटना से ‘आप’ को लांछन का सामना करना ही पड़ेगा। दिल्ली पुलिस सत्ता के हाथों बेबस होने के कारण न केवल अपराधियों को पकड़ने में विफल रह सकती है बल्कि वह यह भी कर सकती है कि अपराधियों को ‘आप’ के आदमी साबित कर ले और इस तरह दशकों से खेली खाई भाजपा को एक तीर से दो निशाने साधना का मौका मिल जाए। यहां, यह केवल अनुमान भर है लेकिन इस अनुमान को पूरी तरह काल्पनिक तो नहीं कहा जा सकता।
ऐसे में बहुत जरूरी है कि आम आदमी पार्टी अपने अंदरूनी मामलों को, व्यापक जनहित में और अपने भविष्य के हित में भी जल्द से जल्द निपटा कर अपने सामने की बड़ी चुनौती पर ध्यान दे। वह यह न भूले कि उसका सामना किसी छोटे-मोटे प्रतिद्वंद्वी से नहीं है और दुश्मन का दुतरफा हमला ‘आप’ की जन सापेक्ष संवेदना पर भी है। मानवीय सरोकार से प्रेरित एक लेखक होने के नाते मैं ‘आप’ को आगाह करने का जोखिम उठा रहा हूं।
अशोक गुप्ता, इंदिरापुरम, गाजियाबाद
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