थॉमसन रायटर्स सर्वे के अनुसार भारत महिलाओं के लिए विश्व में सबसे खतरनाक देश है। इसके लिए महिलाओं के साथ हो रही यौन शोषण की घटनाओं और बंधुआ मजदूरी को आधार बनाया गया है। गौरतलब है कि 2011 में हुए इसी सर्वे के अनुसार भारत चौथे स्थान पर था। दुखद बात यह है कि इस सर्वे में युद्धग्रस्त राष्ट्रों जैसे अफगानिस्तान, सोमालिया और सीरिया को भी महिलाओं के लिए भारत से ज्यादा अच्छी स्थिति में पाया गया है। कई लोग इस सर्वे में लोगों की सीमित भागीदारी के कारण इसकी सटीकता पर प्रश्न उठा रहे हैं, लेकिन इस बात को कोई नकार नहीं सकता कि देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए गंभीर कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में प्रतिदिन महिलाओं के यौन शोषण की लगभग सौ घटनाएं होती हैं। प्रति घंटा चार महिलाएं बलात्कार की शिकार होती हैं और 2007 से लेकर 2016 के बीच महिलाओं के साथ हिंसा की वारदातों में लगभग तिरासी प्रतिशत का इजाफा हुआ है। यह स्थिति वाकई चिंताजनक है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र और तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था वाले देश का महिलाओं के लिए असुरक्षित होना शर्मनाक है। अखबारों और समाचार चैनलों पर बलात्कार और यौन हिंसा की खबरें छाई रहती हैं। धार्मिक स्थलों, विद्यालयों, विश्वविद्यालयों, सड़कों, खेतों, अस्पतालों और कार्यालयों से आती महिलाओं के साथ यौन शोषण की खबरों ने जहां एक ओर जनमानस को इस सर्वे को मानने के लिए तार्किक आधार दिया है वहीं दूसरी ओर सरकार के प्रति नाराजगी भी उभरी है। बलात्कार जैसे जघन्य अपराध पर हो रही राजनीति और तुष्टीकरण की कोशिशों को देख कर जहां एक ओर आम जनता आक्रोशित है वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दलों द्वारा किए गए महिला सुरक्षा के वायदों का हश्र देख कर खुद को ठगा भी महसूस कर रही है। कठुआ और मंदसौर बलात्कार प्रकरण पर हुई राजनीति से जनता आहत है।

निर्भया कांड के बाद हुए आंदोलन से लगा था कि राजनीतिक दल अब महिला सुरक्षा के मुद्दे पर गंभीर हैं और जल्द ही कुछ सकारात्मक परिणाम मिलेंगे, लेकिन नतीजा शून्य ही रहा। महिलाएं आज भी सड़कों, सार्वजनिक यातायात के साधनों, कार्यालयों और अपने घरों में भी खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं। विकास का यह कैसा उदाहरण है, जहां देश की आधी आबादी को अपने घर से निकलने के लिए कई बार सोचना पड़ता है। आंकड़े हैं, कानून भी है। अगर नहीं है तो महिलाओं को बराबर समझने की मानसिकता, अपराधियों को सजा दिलाने का साहस और कमजोर तक न्याय पहुंचाने का संकल्प।
’अश्वनी राघव ‘रामेंदु’, उत्तमनगर, नई दिल्ली</strong>

कब तक
हाल ही में उत्तर प्रदेश के हापुड़ में कुछ शरारती तत्त्वों ने एक युवक को सिर्फ इसलिए मार दिया कि वह अपने खेत से गाय भगा रहा था। इसी तरह महाराष्ट्र में बच्चा चोरी के शक में कभी पांच तो कभी दो लोगों की हत्या कर दी गई। पहले ऐसी वारदातें बहुत कम होती थीं, मगर अब कानून-व्यवस्था बनाए रखने में सरकार की विफलता के कारण अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और वे खुद को कानून से ऊपर समझते हैं। यह सिलसिला कब तक चलेगा?
’मौहम्मद अली, दिल्ली स्कूल ऑफ जर्नलिज्म