तमाम अभावों और मुश्किलों में पली-बढ़ी, रिक्शा चालक की बेटी स्वप्ना बर्मन ने दांत में असहनीय दर्द के बावजूद एशियाई खेलों में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतकर साबित कर दिया है कि हौसले बुलंद हों तो कोई भी बाधा मंजिल तक पहुंचने से रोक नहीं सकती। स्वप्ना की यह स्वर्णिम उड़ान यादगार बन गई है। एशियाई खेलों में स्वप्ना जैसी ही पृष्ठभूमि के कई भारतीय खिलाड़ियों ने देश को पदक दिला कर नाम रोशन किया है। इन पर सभी भारतवासियों को गर्व है। अब सभी खिलाड़ियों का सपना ओलंपिक में भी सोना जीत कर पूरा हो इसके लिए उन्हें शुभकामनाएं।
’हेमा हरि उपाध्याय, खाचरोद, उज्जैन

ई-साक्षरता
आज संचार प्रौद्योगिकी का जमाना है। व्यक्ति घर बैठे देश-दुनिया की सूचनाएं हासिल कर सकता है। विभिन्न स्तरों पर अपनी शिकायतें भी पहुंचा सकता है। लेकिन बुनियादी सवाल है कि लोगों को इसकी जानकारी तो हो! वर्तमान शिक्षा व्यवस्था ऐसी नहीं है कि ई-साक्षरता को बढ़ावा दिया जा सके। हालांकि केंद्र और प्रदेशों की सरकारें युवाओंं के बीच ई-साक्षरता को प्रोत्साहित करने के लिए गंभीरता से प्रयास कर रही हैं, लेकिन जरूरत इन प्रयासों में और तेजी लाने की है। सरकार का लक्ष्य होना चाहिए कि प्रत्येक घर में कम से कम एक व्यक्ति ‘डिजिटल साक्षर’ हो ताकि वह अपने परिवारजन को भी इसके लाभों से अवगत करा सके। सरकार इस दिशा में तेजी से कदम उठाए तो वह दिन दूर नहीं जब गांव-गांव में ई-साक्षरता की अलख जागेगी और देश उन्नति के सोपान चढ़ेगा। यदि देश को प्रगति और खुशहाली की राह पर चलना है तो ई-साक्षरता की ओर तेजी से कदम बढ़ाने ही होंगे।
’दीपिका, पीयू्, चंडीगढ़

सच का साथ
अक्सर देखा गया है कि जब किसी के साथ आपराधिक वारदात होती है तो उसके चश्मदीद भी गवाही देने से इंकार कर देते हैं। अदालतें भी मानती हैं कि देश के ज्यादातर लोग ऐसे हालात में गवाह बनने से बचते हैं। नतीजतन, कई अपराधी निर्दोष साबित हो जाते हैं। यह गलत है। हमें अधिकार दिया गया है कि बिना डर या झिझक के, जो सच्चाई है, उसे पुलिस या अदालत को बताएं। इससे न सिर्फ लोगों का मानवता में विश्वास बढ़ेगा बल्कि अपराध के पीड़ितों को न्याय भी मिलेगा। हमारे एक डर के कारण लोगों को न्याय नहीं मिल पाता है। अगर लोग थोड़ी हिम्मत दिखाएं को अपराधी मौके पर पकड़े भी जा सकते हैं।
’रवि रंजन कुमार, बठिंडा, पंजाब</strong>