सन 1951 में पहले एशियाई खेलों में भारत ने इक्यावन पदक जीते थे और दूसरे स्थान पर रहा था। 1982 में नौवें एशियाई खेलों में भारत ने सत्तावन पदक जीते और पांचवें स्थान पर रहा। लंबे अंतराल के बाद देश को उम्मीद है कि हमारे खिलाड़ी बेहतरीन प्रदर्शन इस बार के ओलंपिक में करेंगे। ओलंपिक और अन्य खेलों में हमारे देश के खिलाड़ी मेहनत करके अपने-अपने खेल में पदक जीतते हैं। पर अगर हमारे देश की राज्य और केंद्र सरकार सभी खेलों के खिलाड़ियों की तरफ ज्यादा ध्यान दें और देश के विभिन्न स्थानों से ऐसे खिलाड़ियों को चुनने का अभियान चलाएं जो विभिन्न खेलों में रुचि रखते हैं और उसमें माहिर हैं तो आने वाले ओलंपिक और अन्य विश्व स्तरीय खेलों में हमारा देश का और भी बेहतर प्रदर्शन हो सकता है। हमारे देश में विभिन्न खेलों के खिलाड़ियों और उनकी खेलों के प्रति विशेषज्ञता की कमी नहीं है। कमी है तो सरकार के ढीले और सुस्त रवैये की या फिर ऐसे माहिर खिलाड़ियों को आगे लाने वाली संस्थाओं की जो ऐसे खिलाड़ियों को आगे आने के लिए प्रेरित नहीं करती है या सहयोग नहीं करती हैं।

कुछ संस्थाएं हैं तो वे खिलाड़ियों को आगे आने या फिर खेलों के लिए अच्छी तरह तैयार करने के लिए बहुत ज्यादा धन लेते हैं, जिस कारण गरीब खिलाड़ियों को आगे बढ़ने का मौका नहीं मिलता है। खेल संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सरकार को प्राथमिक स्कूलों से लेकर कॉलेज तक विद्यार्थियों का खेलों में भाग लेना अनिवार्य बना देना चाहिए और खेलों को पाठ्यक्रम में भी शामिल किया जाना चाहिए।

विडंबना यह है कि सरकारों की भी एक आदत बन चुकी है कि जब कोई खिलाड़ी ओलंपिक या अन्य किसी मैच में अच्छा प्रर्दशन करता है तो उस पर इनामों की बौछार कर दी जाती है। अगर सरकारें अपने देश की सभी खेलों के खिलाड़ियों की सुविधाओं के प्रति गंभीर रहे और सभी प्रकार के मैचों के लिए खिलाड़ियों को तैयार किया जाए तो हमारा देश हर खेल में नंबर एक बन जाए।
’राजेश कुमार चौहान, जलंधर, पंजाब</p>