इंटरनेट का प्रयोग करना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, सरकार को इसे कानून-व्यवस्था बनाए रखने लिए अंतिम विकल्प के रूप में ही बंद करना चाहिए, किसी राजनीतिक हित को साधने के लिए कतई नहीं। संयुक्तद राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के अनुसार भी इंटरनेट पर बंदिश मानवाधिकार का उल्लंघन है। यह प्रतिबंध एक आभासी कर्फ्यू (वर्चुअल कर्फ्यू) है जो उतना ही बुरा है जितना वास्तविक कर्फ्यू।
सरकार को समझना चाहिए कि संचार के दूसरे तमाम माध्यमों से कहीं ज्यादा इंटरनेट की जरूरत रचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। यहां तक कि कानून व्यवस्था पर खतरे की स्थिति में भी यह फायदेमंद है। आपात स्थिति में ट्विटर जैसे मंच मददगार होते ही हैं।
’सुकदेव सरकार, उधम सिंह नगर