छह नवंबर 2016 के ‘रविवारी जनसत्ता’ में कविता का आलेख ‘कारागार और कलम’ कहा गया कि ‘मन्मथनाथ गुप्त ऐसे लेखक थे, जिन्होंने अंडमान निकोबार जेल में रह कर अपनी और अपने साथियों की सजा को ‘अंडमान की गूंज’ नामक किताब में दर्ज किया है। यह किताब पढ़ने वालों कोे भीतर तक हिलाती है।’ जबकि तथ्य यह है कि मन्मथनाथ गुप्त को अंडमान या काला पानी की सजा नहीं दी गई थी और न ही उन्हें अंडमान भेजा गया था। अपनी पुस्तक ‘अंडमान की गूंज’ में उन्होंने अंडमान या काला पानी जाने वाले क्रांतिकारियों के संस्मरणों को संकलित किया है। दूसरी बात यह कि कविता जी ने रामप्रसाद बिस्मिल को बेहतरीन कवि, शायर और बहुभाषी लेखक कहा है। यह तथ्य से परे है। इसके अलावा, बिस्मिल की गोरखपुर कारागार में फांसी से पूर्व लिखी आत्मकथा ‘निज जीवन की छटा’ का उल्लेख किया जाता तो तो शायद ज्यादा अच्छा होता।
’सुधीर विद्यार्थी, पवन विहार, बरेली
तथ्य यह है
मन्मथनाथ गुप्त को अंडमान या काला पानी की सजा नहीं दी गई थी और न ही उन्हें अंडमान भेजा गया था। अ
Written by जनसत्ता

Jansatta.com पर पढ़े ताज़ा चौपाल समाचार (Chopal News), लेटेस्ट हिंदी समाचार (Hindi News), बॉलीवुड, खेल, क्रिकेट, राजनीति, धर्म और शिक्षा से जुड़ी हर ख़बर। समय पर अपडेट और हिंदी ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए जनसत्ता की हिंदी समाचार ऐप डाउनलोड करके अपने समाचार अनुभव को बेहतर बनाएं ।
First published on: 28-11-2016 at 05:31 IST