जब एटीएम और बैंक से पैसा निकालने की सीमा तय है तो रोज नए नोट कैसे बरामद हो रहे हैं? इस पर कुछ लोगों का तर्क है कि प्राइवेट बैंक या अधिकारी मिल कर फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया हर बैंक को नकदी की आपूर्ति करते वक्त इस बात का आंकड़ा जरूर रखता होगा कि किस बैंक को कब कितनी नकदी दी गई। हम सब जानते हैं कि नोटबंदी के बाद से कोई भी बैंक बिना आधार नंबर के नोट बदलने या निकासी का काम नहीं कर रहा। सभी से आधार पर हस्ताक्षर करा कर उसकी छाया प्रति जमा करवाया गया होगा। बाकायदा उसकी इंट्री भी कंप्यूटर में रखा गया होगा। जाहिर है कि आरबीआई जमा और निकासी का हर हिसाब रखता होगा।

जैसा की पता चला है कि लगभग 12 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के पुराने नोट जमा हो गए हैं। फिर आरबीआई को अवश्य पता होगा कि किस बैंक से कितनी राशि प्रतिदिन लोगों को दी जा रही है। ऐसे में किसी भी बैंक अधिकारी को इतनी बड़ी राशि हेराफेरी करने की हिम्मत नहीं होगी। अगर किया भी हो तो आरबीआइ इन चीजों से कैसे अनजान हो सकता है। बैंक को दिए नकदी का हिसाब लिए बिना वह कैसे अगली किस्त उस बैंक को जारी कर रहा है? फिलहाल सब लोग इस बात की जश्न मनाने में व्यस्त हैं कि कालाधन पकड़ा गया। जब कालाधन पकड़ा गया तो आरोपी को क्या सजा हुई? इससे आगे की जानकारी किसी को नहीं है और न कोई मीडिया या सरकार यह बताने की जरूरत महसूस कर रही है। अगर इतनी बड़ी राशि बैंकों में होती तो आज एटीएम या बैंक के कतारों में इतनी भीड़ नहीं होती।
’मो तौहिद आलम, रामगढ़वा, बिहार</p>