देश की राजधानी में अपराध बढ़ता जा रहा है। पिछले हफ्ते दिल्ली के बुराड़ी इलाके में सिरफिरे आशिक ने सरेराह एक लड़की को चाकू से गोद कर मार डाला। इस घटना ने मानवता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। विचित्र है कि वहां आते-जाते लोगों ने लड़की को बचाने की कोशिश नहीं की। इससे अपराधियों के लिए खुली छूट का माहौल बन रहा है। अजीब बात है कि आज इंसान रिश्तों की मर्यादा भूल कर गलत राह अपना रहा है। प्रेम के नाम पर युवा स्त्रियों को मार दे रहे हैं। स्वार्थ, लोभ, लालच के लिए भाईचारा, सहयोग और प्रेम सब खत्म हो रहा है। आज ऐसे ही अपराधी, गुंडे-मवालियों का बोलबाला है।
मनुष्य के नैतिक मूल्यों का पतन होता जा रहा है, जिसकी दुर्दशा समाज के मासूम वर्गों को झेलनी पड़ रही है। हमें सार्वजनिक डर बनाए रखना होगा, वरना भीड़ भरे चौराहों पर भी हमले का डर रहेगा। हमारा सामाजिक ताना-बाना बिखर जाएगा। समाज महिलाओं के बजाय उन पर हमला करने वालों की आजादी का माहौल बना रहा है।
’विजयता पाण्डेय, भोपाल