नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मृत्यु हवाई जहाज दुर्घटना में हुई या वे अन्य तरह की अज्ञात परिस्थितियों में संसार से विदा हुए, यह बात आज तक रहस्य बनी हुई थी। पिछले दिनों इस रहस्य से परदा उठाने के लिए मीडिया में खूब चर्चा चली, जो अब भी चल रही है।

इस प्रसंग में कश्मीर के शहीद कांतिचंद्र जाडू का उल्लेख करना भी आवश्यक है। सुना है कांतिचंद्र नेताजी के करीबी सहयोगी थे और आखिरी दिनों तक नेताजी के साथ रहे। माना यह भी जा रहा है कि 1945 में कांतिचंद्र भी नेताजी के साथ ही रहस्यमय परिस्थितियों में विलुप्त हो गए। इतने वर्ष गुजरने के बाद भी अब तक कांतिचंद्र के घर वालों को उनके बारे में कोई आश्वस्त करने वाला समाचार मिला नहीं है। उनकी पत्नी पति के लौटने का जिंदगीभर इंतजार करती रहीं। और 2005 में मुंबई में इस दुनिया से रुखसत हुर्इं।

सरकार चाहे तो नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मृत्यु की गुत्थी को सुलझाने के साथ ही कश्मीरी पंडितों के लाड़ले और अमर बलिदानी कांतिचंद्र जाडू की मौत पर पड़े परदे को भी हटाने की पहल कर सकती है।

वेबसाइटों पर कांतिचंद्र के बारे में संक्षित-सी जानकारी मिलती है: कश्मीर के प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान दिवंगत जेडी जाडू के दो पुत्र थे और दोनों नेताजी सुभाषचंद्र बोस के आवाहन पर आइएनए से जुड़ गए। माना जा रहा है कि कांतिचंद्र जाडू सुभाषचंद्र बोस के निजी सचिव थे और उसी जहाज में सवार थे जिसके 1945 में रहस्यमय परिस्थितियों में दुर्घटनाग्रस्त होने की बात बताई जा रही है। दूसरे पुत्र दीनानाथ आइएनए के भंग होने पर अपने घर कश्मीर वापस आ गए थे।
शिबन कृष्ण रैणा, अलवर

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