निश्चित रूप से फ्रांस से अरबों-खरबों रुपए में आयातित राफेल विमान से भारतीय वायुसेना की ताकत में गुणात्मक वृद्धि होगी। कहावत है कि ‘लातों के भूत बातों से नहीं मानते’। पड़ोसी चीन भी ऐसा ही ‘भूत’ है! लेकिन युद्धनीति का यह भी सिद्धांत है कि एक ओर युद्ध में हथियारों का महत्त्वपूर्ण स्थान है, वहीं यह भी सत्य है कि युद्ध केवल हथियारों से नहीं लड़ा जाता! कोई जर्जर आर्थिक स्थिति वाला देश अच्छे हथियार होते हुए भी युद्ध नहीं जीत सकता! भारत की अर्थव्यवस्था वैसे ही बहुत खस्ता हालत में है। पूर्णबंदी ने बचे-खुचे को तबाह कर दिया है।
ऐसी स्थिति में अपने से पांचवे हिस्से के बराबर फ्रांस जैसे देश से बेहद महंगे युद्धक विमान खरीदने के बजाय क्या हम अपने देश में ऐसे विमान नहीं बना सकते? इसी प्रकार, हम इजरायल जैसे छोटे देश से भी हम रक्षा उपकरण खरीद रहे हैं! आखिर अब तक हथियारों को बनाने में आत्मनिर्भर क्यों नहीं बने? अगर हम हथियार खुद बनाते तो ये इतनी बड़ी विदेशी मुद्रा की बबार्दी नहीं होती! वही पैसा यहां के अत्यंत बदहाल शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, कृषि के क्षेत्रों में लगता। यहां का कुपोषण और गरीबी मिटाने के काम आता!
हमें चीन से मुकाबले के लिए ह
स्त्री की भागीदारी
किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी बहुत मायने रखती है। लेकिन सच यह है कि भारत में महिला कार्यबल की स्थिति अच्छी नहीं है! पुरुषों की तुलना में महिलाओं की भागीदारी बेहद कम है। भारतीय महिला श्रमिकों के औपचारिक कार्यबल में भागीदारी में कमी के पीछे घर से कार्यस्थलों तक पर पितृसत्तात्मक पारिवारिक संरचना की जकड़ है, जिसके कारण महिलाओं की शिक्षा में कमी से लेकर कई स्तरों पर सीमित रहना पड़ता है।
पिछले चार वर्षों में रोजगार के अवसरों में बेहद कमी देखी गई है। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने चेतावनी दी थी कि कोरोना महामारी से दुनिया भर मे सभी अर्थव्यवस्थाओं को धक्का लगा और बेरोजगारी बढ़ी है। इसमें महिला कर्मचारियो पर सबसे ज्यादा नकारात्मक असर पड़ा है।
’रंजना, प्रयागराज
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