देश की जनता ने मौजूदा केंद्र सरकार पर पूर्ण बहुमत के साथ आगामी पांच वर्ष के लिए फिर भरोसा जताया है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल चुनाव से पहले और नतीजे आने के बाद भी यह बात कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री ने देश की जनता को बेवकूफ बनाया, धोखा दिया और जनमानस इसको ‘समझ’ नहीं पाया। यदि इसे सही मान लिया जाए तो हम सब इस बात से अवगत हैं कि सामने वाले की तरफ उठने वाली हाथ की एक अंगुली के अलावा शेष चार स्वयं की ओर संकेत करती हैं। कांग्रेस को आत्ममंथन करना चाहिए कि उसने लंबे समय तक देश की सत्ता संभाली थी। अगर इस दौरान उसने देश को सुशिक्षित करने के लिए ईमानदारी से प्रयास किया होता तो आज यह दिन देखने की नौबत नहीं आती। जिस देश में अंगूठा न लगाकर अपना नाम ‘कमला’ लिखना ही शिक्षित होने की परिभाषा हो और जिस सरकार ने सुशिक्षित होने का उपरोक्त मानक तय किया हो, वह आज वह पर नासमझ होने का इल्जाम लगाए तो यह समझ से परे है।

विचारणीय है कि आजादी के बाद से लंबे समय तक सत्ता पर काबिज रही पार्टी ने क्या देश की जनता को ऐसी शिक्षा दी जिससे वह किसी विषय पर गहराई से चिंतन-मनन करके उस पर अपना निर्णय दे सके? जाहिर-सी बात है कि जब तक देश की जनता सुशिक्षित नहीं होगी और किसी भी मुद्दे या योजना के सफेद और स्याह पक्ष पर गहराई से चिंतन करने की क्षमता व समझ उसके भीतर विकसित नहीं होगी तब तक आपको किसी भी तरीके का आरोप लगाने का हक नहीं। हमारे देश की शिक्षा नीतियों में कितनी खामियां हैं या जगजाहिर है। आज की शिक्षा केवल नौकरी पाने का साधन बन कर रह गई है। इसमें वह क्षमता नहीं कि देश या दुनिया के हित या अहित पर चिंतन के लिए नागरिकों को तैयार कर सके। अर्थोपार्जन केंद्रित शिक्षा व्यवस्था हमारी शैक्षिक गुणवत्ता और देश के भविष्य के लिए घातक है।

पिछली सत्तारूढ़ पार्टियों ने जो कुछ बोया वह उन्हें काटना भी पड़ेगा। इसके साथ ही मौजूदा सरकार से उम्मीद है कि वह शिक्षा सहित सभी क्षेत्रों में सुधार लिए प्रभावी कदम उठाएगी। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के साथ ही देश के नागरिकों के लिए हाईस्कूल या इंटरमीडिएट तक की शिक्षा अनिवार्य करनी चाहिए। इसी दौरान तकनीकी पाठ्यक्रम को कड़ाई से लागू करना चाहिए जिससे उन्हें शिक्षित होने का दर्जा पूरी ईमानदारी से दिया जा सके और वे अपनी मूलभूत आवश्यकताओं के साथ देश और समाज के हित-अहित पर विचार कर अपनी बात रख सकें।
’धर्मेंद्र प्रताप सिंह, केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय, कासरगोड

बर्बर पुलिस
फरीदाबाद के आदर्श नगर थाने में पांच पुलिस वालों ने एक महिला को चमड़े की बेल्ट से पीटा। वीडियो वायरल हो गया तो पुलिस का बर्बर चेहरा हम सबके सामने आ गया। जो पुलिस हमारी रक्षा के लिए बनाई गई है उसके जवानों की ऐसी करतूत निहायत अफसोसनाक है। आज के समय में जब महिलाएं सब जगह देश का मान बढ़ा रही हैं, एक महिला के साथ पुलिस का बर्बर व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। पता नहीं ऐसी और कितनी घटनाएं होती होंगी जो हम सबको पता ही नहीं चलतीं। क्या सरकार कोई कड़ा कदम उठाएगी जिससे इस तरह की घटनाएं दुबारा न हों! हालांकि इन पुलिस वालों को बर्खास्त कर दिया गया है पर इतना ही काफी नहीं है। इन सभी पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार करके इनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई करनी चाहिए।
’बृजेश श्रीवास्तव, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश</strong>