शिक्षा सशक्तीकरण की बुनियाद है और शिक्षा में ही ज्ञान, उचित आचरण और तकनीकी दक्षता का समावेश होता है। लेकिन हमारी शिक्षा सिर्फ जीविकोपार्जन या धनवान बनने के लिए ही नहीं, बल्कि एक आदर्श नागरिक बनने के लिए होनी चाहिए, तभी आदर्श देश का निर्माण संभव है। इसके लिए बच्चों में प्रारंभिक शिक्षा से ही नैतिक मूल्यों का विकास होना चाहिए, क्योंकि आगे चल कर बचपन के संस्कार उनके जीवन-मूल्य बन जाते हैं।
सरकारी स्कूलों की हालत इतनी दयनीय मालूम पड़ती है कि कोई भी अभिभावक अपने बच्चों को वहां पढ़ाना नहीं चाहता। वहीं निजी स्कूलों में फीस महंगी होने के साथ ही नैतिक मूल्यों का अभाव पाया जाता है। अब जरूरत है अपनी शिक्षा नीतियों के पुनरावलोकन की और साथ ही ऐसी नीतियां बनाने की, जिसमें सभी को सस्ती और एक समान शिक्षा सुलभ हो।
देश को आत्मनिर्भर बनाने और अपनी तकनीक विकसित करने के लिए सरकार अपने युवाओं को वे सारी सुविधाएं मुहैया कराए, जिसके कारण उन्हें अपनी प्रतिभा विदेशों में बेचनी पड़ती है। ऑनलाइन शिक्षा को वैकल्पिक तौर पर प्रयोग कर दूरस्थ इलाकों तक पहुंचाया जा सके, लेकिन यह ध्यान रखा जाए कि समाज का सबसे गरीब और पिछड़े तबके के एक भी बच्चे स्कूली शिक्षा से न छूटें।
’शिवम सिंह, फतेहपुर, उप्र
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