जनसत्ता 10 नवंबर, 2014: भाजपा के दोहरेपन की कलई निरंतर खुल रही है। जिस सीएजी यानी नियंत्रक एवं महा लेखा परीक्षक की रिपोर्टों के चलते मनमोहन सिंह सरकार पर इतनी कालिख पुती और राजनीतिक फायदा लेकर भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आई। अब आते ही उसने इसी सीएजी को फटकारना शुरू कर दिया! वित्तमंत्री अरुण जेटली ने धमकाने के अंदाज में सीएजी को फटकार लगाते हुए स्पष्ट कह दिया कि वह खुलासे करने वाली सनसनीपूर्ण खबरों से परहेज करे। हम भूले नहीं हैं कि पिछले महा लेखा परीक्षक के खुलासों से ही ‘कोलगेट’ और 2-जी के घोटाले सामने आए थे और सर्वोच्च न्यायालय की दखल के बाद मुकदमे भी चले। मोदी सरकार के आने के बाद कॉरपोरेट घरानों के हितों को ध्यान में रखते हुए ‘इ-नीलामी’ के जरिए मामला रफा-दफा होने की तैयारी है। ऐन चुनावों के बीच जारी हुई विनोद राय की किताब से न केवल प्रकाशक और विनोद राय मालामाल हुए, बल्कि भाजपा के लिए सत्ता की सीढ़ियां चढ़ना आसान हो गया!

संवैधानिक संस्थानों और प्रक्रियाओं में उनका कतई विश्वास ही नहीं। विश्व आर्थिक मंच से 24 नवंबर, 2014 से शुरू होने वाले संसद सत्र में वित्तमंत्री द्वारा बीमा विधेयक पारित करवाने की घोषणा करना, सरासर संसद की चयन समिति की अवमानना है, जिसके पास यह विधेयक अभी विचारार्थ है। क्या गजब की छप्पन इंची सरकार आई है! एक तरफ वित्तमंत्री सीएजी को कोई भी खुलासा न करने के लिए कह रहे हैं, वहीं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी अदालत के फैसलों को लागू करने में असमर्थता जता रहे हैं। अदालत के फैसले जो एक लंबी लड़ाई के बाद बड़ी कठिनाइयों के बीच आमजन को मिल पाते हैं, उन्हें लागू न कर पाने की बात कर नितिन गडकरी किनका साथ दे रहे हैं।

इन अन्यायपूर्ण दास्तानों के बीच तीसरी एक और महत्त्वपूर्ण बात राजस्थान की भारतीय जनता पार्टी सरकार के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने कह दी है। उनके कोटा शहर के दौरे से कुछ दिन पहले ही एक बच्चे का अपहरण कर मार दिया गया और उसी संभाग में भूख से एक बच्चे की मौत हुई है, के दौरे में उन्होंने देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ईश्वर का अवतार बताया। देखिए जिनके हाथ में सत्ता की डोर है। केंद्र और राज्य दोनों जगह उनका शासन है। निगम चुनावों के टिकट बांटने वे वहां गए। जनता की सुरक्षा, जिसकी जिम्मेदारी उनकी है। उनकी तकलीफों को दूर करना उनका दायित्व है। पर जनसरोकार से दूर वे नरेंद्र मोदी को पूजने योग्य भरी तकरीर जनता के समक्ष रखते हैं। इससे पहले पूर्व भाजपा सरकार में भी वे गृहमंत्री थे, तब एक घटना पर मीडिया में सवाल करने पर उनके स्तर पर कोई कार्रवाई करने की जानकारी देने के बदले वे रोने लग गए थे।

‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा’ की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले मोदी के प्रधानमंत्री बने करीब एक सौ पैंसठ दिन गुजर गए हैं, पर लोकपाल अब तब नामित नहीं किया गया। इनके मुख्यमंत्री काल में यही स्थिति लोकायुक्त को लेकर बनी रही। वहां सीएजी के किए गए खुलासे नक्कारखाने की तूती बन कर रह गए। सिवाय लफ्फाजी और कॉरपोरेट को ‘कारपेट’ बिछाने के मोदी के पास करने को कुछ भी नहीं नजर आता है। उनके स्वच्छ भारत अभियान की ‘फोटो खेंच सफाई’ की कलई भी खुल गई है। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष सतीश उपाध्याय के नेतृत्व में पहले फुटपाथ पर कचरा डलवाया और फिर किस तरह से वे झाड़ू लेकर सफाई की फोटो खिंचवाने के उपक्रम में जुट गए।

काले धन पर मोदी सरकार की लुकाछिपी का खेल शीर्ष अदालत ने खत्म कर दिया है। अट््ठाईस अक्तूबर, 2014 को शीर्ष अदालत ने मोदी सरकार से काले धन की सूची मांग ली। जांच में हेर-फेर और चुनिंदा नाम जो मनमोहन सरकार के समय ही सामने आ गए थे, के सिवाय अन्य नाम बताने में कतरा रही मोदी सरकार से शीर्ष अदालत ने कहा कि आप हमें नामों की सूची दे, हम कराएंगे जांच। इसमें भी यह बात सामने आई है कि दिए गए छह सौ सत्ताईस नामों की सूची में दो सौ नवासी खातों में कोई राशि जमा नहीं है। फिर भी गजब का तमाशा जारी है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में मोदी से ही टक्कर है- का शोर है।

 

रामचंद्र शर्मा, तरुछाया नगर, जयपुर

 

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