जनसत्ता 14 नवंबर, 2014: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में नसंबदी आॅपरेशन के बाद चौदह महिलाओं का मारा जाना और लगभग साठ का बीमार पड़ जाना बहुत दुखद और शर्मनाक है। जाहिर है कि ये मौतें लापरवाही और बदइंतजामी के कारण हुर्इं। नहीं तो आज के समय में जबकि चिकित्सा के क्षेत्र एक से एक नई तकनीक और मशीनें उपलब्ध हैं, नसबंदी जैसे साधारण ऑपरेशन से मौत हो जाना ही अपने आप में एक आश्चर्य है।

अगर मान भी लिया जाए कि इन महिलाओं के ऑपरेशन बिना किसी दबाव या प्रलोभन के किए गए, तो भी यह साफ ही है कि नसबंदी के इस कैंप में ऑपरेशन और बाद की देखभाल के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं थे। असल में यह सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण नहीं है कि ऑपरेशन और बाद की देखभाल के इंतजाम हैं या नहीं, सबसे जरूरी यह सुनिश्चित करना है कि कैसे भी हालात में ज्यादा से ज्यादा आॅपरेशन हो जाएं, ताकि गरीब लोग कम से कम बच्चे पैदा करें! देखा जाए तो इन स्वस्थ महिलाओं को बिना किसी अपराध के मृत्युदंड ही दे दिया गया। न तो इनकी जिंदगियों की कोई कीमत है और न ही इनके बच्चों की! ऐसे में इस वर्ग की इच्छाओं और खुशियों से सरकार को कोई सरोकार होगा, इसका तो सवाल ही नहीं उठता। यह घटना गरीबों के लिए उपलब्ध (या अनुपलब्ध) चरमराती स्वास्थ्य सेवाओं और व्यवस्था की ओर भी इशारा करती है।

इन दिनों अखबारों में ‘इनफर्टिलिटी क्लीनिक एंड टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर’ के विज्ञापन भी छप रहे हैं, जहां उपलब्ध तकनीक के इस्तेमाल से पैसे वाले निसंतान स्त्री-पुरुष बच्चा हासिल कर सकते हैं। साफ है कि अमीर वर्ग के लोगों की खुशियां और इच्छाएं महत्त्वपूर्ण हैं और उनके बच्चे भी वांछित हैं। इसलिए यह भी जरूरी है कि इन्हें नवीनतम स्वास्थ्य सेवाएं और तकनीक मुहैया हों!

 

प्रमोद उपाध्याय, नई दिल्ली

 

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