जनसत्ता 7 अक्तूबर, 2014: दो अक्तूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की याद के साथ गरीबी, सादगी, सच्चाई और त्याग-तपस्या से उठे लालबहादुर शास्त्री और इनके साथ अन्य गांधीवादी और खादी प्रेमी सरदार पटेल, गुलजारी लाल नंदा, मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह, देवीलाल, कर्पूरी ठाकुर और रामनरेश यादव जैसी अनेक हस्तियों की प्रेरणादायक याद भी अपने आप ताजा हो जाती है। इस बार प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में ‘स्वच्छ भारत’ के रूप में यह दिवस मनाया गया, जिसका स्वागत होना चाहिए। अगर सफाई से सारा राष्ट्र आगे बढ़ता है तो निश्चय ही इसे बहुत आगे ले जाया जा सकता है।

लेकिन राजनीति में आमतौर पर दिखावे के लिए कुछ ज्यादा ही होता आया है। अब असल में कुछ करने की सख्त जरूरत है। स्वच्छता के साथ राष्ट्र से शराब की भयंकर गंदगी को भी साफ कर दिया जाए तो सोने पर सुहागा होगा, क्योंकि बापू के साथ ये सभी हस्तियां भी शराब और दूसरी नशाखोरी की कट्टर विरोधी थी। शराब के इस भयंकर कलंक को हटाए बिना पूरी स्वच्छता या सफाई संभव नहीं है।
वेद मामूरपुर, नरेला, दिल्ली

 

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