मिड-डे मील योजना केंद्र और राज्यों की साझेदारी से चलती है। इसमें केंद्र की वित्तीय सहभागिता पचहत्तर फीसद है और राज्यों की पच्चीस फीसद।

अमल पर निगरानी के लिए केंद्र और राज्य से लेकर जिले और प्रखंड स्तर तक समितियां हैं। फिर भी पोषाहार के रोगाहार बन जाने के इतनी घटनाएं हो चुकी हैं कि कुछ लोग इस योजना के औचित्य पर ही सवाल उठाने लगे हैं।

इस योजना की व्यापक समीक्षा जरूर होनी चाहिए, ताकि जाना जा सके कि संचालन और निगरानी को कैसे दुरुस्त किया जा सकता है।

अनिल राणा, देहरादून

 

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