जनसत्ता 10 नवंबर, 2014: जब आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने फरवरी, 2014 में त्यागपत्र दिया था, तब लोकसभा चुनाव के साथ ही दिल्ली के विधानसभा चुनाव होना चाहिए था, लेकिन न जाने उप-राज्यपाल नजीब जंग किसके साथ जंग करते रहे, जिसका लाभ विधायकों को बिना किसी काम के वेतन-भत्तों के रूप में मिलता रहा, वे भी चुप थे।
उनचास दिन के मंत्री हों या विधायक अब उनचास साल तो क्या जीवन पर्यंत न जाने सरकारी खजाने से कितना धन लेते रहेंगे, जो कि न्यायोचित नहीं है। इस कानून में बदलाव होना चाहिए। विधानसभा निलंबित रखने का कोई औचित्य नहीं था। किन कारणों से चुनाव एक साल बाद होंगे इसकी जांच होनी चाहिए।
’यश वीर आर्य, दिल्ली
फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करें- https://www.facebook.com/Jansatta
ट्विटर पेज पर फॉलो करने के लिए क्लिक करें- https://twitter.com/Jansatta
