नशा और नाश एक ही सिक्के के दो पहलू है। नशा चाहे कोई भी क्यों न हो, यह हमेशा शरीर, धन का नाश ही करता आ रहा है और करता ही रहेगा। इस नशे ने न जाने कितनी जिंदगियां लील ली, कितने घर बर्बाद कर दिए।

लोग कई रूपों में नशे को अपनाते हैं, जिनमें गुटखा भी एक नशा का ही एक रूप है। गुटखा धीरे-धीरे इंसान को मौत की तरफ भी ले जा सकता है। इसके लती लोगों के साथ-साथ उनके परिवार वालों और बच्चों को भी कई बीमारियों के लगने का खतरा होता है, क्योंकि गुटखा खाने वाले जो थूकते हैं, उससे भी बीमारियों के कीटाणु इधर-उधर फैल जाते हैं।

किसी कानून या किसी के डर से नहीं, बल्कि अपनी सेहत न बिगड़ जाए, इसके डर से ही इंसान को नशे को त्याग देना चाहिए। भारत में कुछ राज्यों में प्रतिबंध लगा दिया गया है, लेकिन व्यवहार में इस पर जरूरी नियंत्रण नहीं है। बल्कि ऐसे पदार्थों पर तो संपूर्ण भारत में प्रतिबंध लग जाना चाहिए। मगर यहां एक सवाल यह भी उठता है कि इसके साथ बहुत सारे लोगों की रोजी-रोटी जुड़ी है।

अगर गुटखे पर प्रतिबंध लग गया तो इससे रोजी-रोटी चलाने वालों संकट के बादल छा जाएंगे। हमारे देश में पहले ही बेरोजगारी बहुत है। इससे ओर बेरोजगारी बढ़ सकती है। लेकिन इस समस्या का समाधान सरकार को खोजना होगा। इसके लिए इस काम-धंधे में जुड़े लोगों के लिए अन्य किसी काम-धंधे का जुगाड़ करना चाहिए, ताकि किसी को भी रोजी रोटी के लिए तरसना न पड़े। ऐसे रोजगार, जो लोगों की जान का सौदा है, उसका विकल्प तुरंत खड़ा करना सरकार की जिम्मेदारी है।
’राजेश कुमार चौहान, जालंधर, पंजाब</p>