इससे पूर्व नेपाल की जनता देश में दोबारा राजशाही लागू करने के लिए सड़कों पर आ गई थी। नेपाल का अब यह नया संकट है। नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी दक्षिण एशिया में सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी है। इस पार्टी ने लोगों को एक स्थायी सरकार देने का वादा किया था। लेकिन वह अपने इस वादे को निभा पाने में विफल रही है।
नेपाल की जनता इसे अपने साथ बड़ा छल मान रही है। अब चीन के राजदूत भी इस लड़ाई में कूद गए हैं। चीन हमेशा से नेपाल के अंदरूनी मामलों में दखल देता आया है। लेकिन चीन को नेपाल से कोई हमदर्दी नहीं है, वह केवल अपने हित साध रहा है। इसलिए नेपाल के मुख्य नेताओं को चाहिए कि आपसी समझौते से स्थिति को काबू में लाएं। इसी से नेपाल की जनता की प्रगति सुनिश्चित होगी।
’ नरेंद्र कुमार शर्मा, जोगिंदरनगर
सवाल आचरण का
करोड़ों रुपए खर्च करके देश को एक नया संसद भवन मिलेगा। वह भवन पहले से अधिक विशाल और अधिक सुविधा संपन्न होगा। लेकिन क्या इससे संसद में होने वाली बहस की गुणवत्ता में कोई सुधार हो पाएगा? यह एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न है जिस पर राजनेतागण विचार नहीं कर रहे हैं।
जिस प्रकार आज राजनीति का स्तर गिरता जा रहा है, उससे तो यह नहीं लगता कि अधिक सुविधा संपन्न नया भवन बनने से देश की संसद में होने वाली बहस के स्तर में अपेक्षित सुधार हो पाएगा। बड़े और अत्याधुनिक संसद भवन से भी ज्यादा जरूरी संसद का जनता के प्रति उत्तरदायी होना और लोकतांत्रिक मानदंडों का पालन करना है, जिसका कि आज अभाव देका जा रहा है।
यह नहीं भूलना चाहिए कि सम्मानीय जनों का ही अन्य लोग अनुगमन करते हैं। लेकिन आज जिस प्रकार के उदाहरण हमारे नेता गण आमजन के सामने प्रस्तुत कर रहे हैं, क्या वे अनुकरणीय हैं? नया संसद भवन बनाने के साथ-साथ अगर इस प्रश्न पर भी गौर कर लिया जाए तो उचित होगा।
’नवीन थिरानी, नोहर