बिहार की राजनीति में साम, दाम, दंड, भेद का खूब इस्तेमाल हो रहा है। हर पार्टी ऐड़ी-चोटी का जोर लगा कर अपनी साख बचाने और जनता का दिल जीतने के लिए बेहताशा परिश्रम और उपाय करने में लगी है।

जहां एक ओर सभी प्रतिपक्षी नेताओं ने कड़ी मोर्चाबंदी कर खुद को प्रदेश के तारणहार के तौर पर पेश किया है वहीं सत्तारूढ़ पार्टी इस वक्त अपने वादों और जज्बातों को जनता के समक्ष पेश करने में जुटी है। उम्मीद है कि इनका मकसद सिर्फ चुनाव जीतना नहीं बल्कि बिहार और उसके साथ-साथ देश का विकास करना भी होगा वरना जनता को अच्छे दिन की जगह बुरे दिन देखने पड़ सकते हैं।

कनिष्का तिवारी, दतिया

 

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