लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने विदेशों में देश की छवि धूमिल करने की कसम खा रखी है। उन्होंने कनाडा में भारत को घोटालों और गंदगी का देश कह दिया जो अफसोसनाक है। वित्तमंत्री ने राज्यसभा में उनका बचाव करते हुए विपक्ष से साठ साल के घोटालों पर चर्चा के लिए तैयार रहने की बात कही। लब्बोलुआब यह कि देश में पहले की सभी सरकारें घोटाले और गंदगी करने वाली थीं, अब मोदी ‘स्किल’ और ‘सफाई वाली’ सरकार के प्रधानमंत्री हैं!

उन्होंने पिछले दस-ग्यारह महीनों में अपनी विदेश यात्राओं पर सरकारी खजाने की कितनी सफाई करवाई वह भी एक इतिहास ही बनेगा। अब एक महीने का वेतन अपने ही कोष में देना क्या है? अगर देश के सभी मंत्री फिजूलखर्ची छोड़ दें तो वह उनके एक महीने क्या, एक साल से अधिक के वेतन के बराबर हो सकता है।

यश वीर आर्य, दिल्ली

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