कोरोना वायरस के संकट के चलते रेवेन्यू में कमी आने की वजह से तमाम उद्योगों ने अपने कर्मचारियों की छंटनी की है। छंटनी के बीच कंपनियां कर्मचारियों को वीआरएस भत्ता, ग्रैच्युटी समेत कई अन्य तरह की पेमेंट्स कर रही हैं। हालांकि नौकरी गंवाने वाले कर्मचारियों के लिए खबर चिंतानजक है कि इन भत्तों के पेमेंट्स पर भी टैक्स लग सकता है। आइए जानते हैं, कैसे नौकरी गंवाने वालों पर टैक्स के चलते पड़ेगी दोहरी मार…
सैलरी से अलग मिली पेमेंट पर देना होगा टैक्स: इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 17(3) के तहत सैलरी से अलग मिलने वाली किसी भी अन्य रकम पर टैक्स लगता है। इसी तरह यदि कोई एंप्लॉयर कर्मचारी को नौकरी से हटाता है तो उसे सैलरी से इतर मिलने वाले अन्य भत्तों पर टैक्स अदा करना होगा। यही नहीं नौकरी जाने के बाद यदि किसी अन्य स्रोत से आपको कुछ आय होती है तो उस पर भी आपको टैक्स देना होगा।
VRS पर टैक्स छूट का प्रावधान: सेक्शन 10(10C) के तहत 5 लाख रुपये तक के वीआरएस पर टैक्स छूट मिलती है। यदि नौकरी के प्रति वर्ष के तीन महीने के बराबर सैलरी से ज्यादा रकम होती है तो आपको टैक्स देना होगा। हालांकि यह छूट आपको एक बार ही मिल सकती है।
छंटनी पर मिलने वाले भत्ते में इन लोगों को देना होता है टैक्स: यदि आपको नौकरी पर जाने वाला भत्ता इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स ऐक्ट के तहत दिया जाता है तो 5 लाख रुपये तक की रकम पर आपको टैक्स में राहत मिलती है। हालांकि मैनेजर लेवल पर या फिर प्रशासनिक स्तर पर नौकरी करने वाले ऐसे लोगों को यह टैक्स छूट नहीं मिलती है, जिन्हें 10,000 रुपये से ज्यादा की सैलरी नहीं मिलती है।
ग्रैच्युटी पर मिलती है छूट: केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय और निजी संस्थानों में नौकरी करने वाले लोगों को ग्रैच्युटी पर राहत मिलती है। गैर-सरकारी कर्मचारियों को 20 लाख रुपये तक की ग्रैच्युटी पर टैक्स में छूट मिलती है।