जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा यानी जेआरडी टाटा का नाम सुनते ही जहन में देश के पहले कमर्शियल पायलट की तस्वीर बनती है, जिसके नाम के साथ एयर इंडिया बनने की कहानियां जुड़ी हैं। एक बड़े समूह के मुखिया के सामने एक बार ऐसी परिस्थिति पैदा हो गई थी कि उन्हें खुद को गर्म रखने के लिए अखबार का सहारा लेना पड़ा था। उनकी किताब बियॉन्ड द लास्ट ब्लू माउंटेन में इस घटना का जिक्र है।
वह बताते हैं कि हनीमून के लिए वह कंचनजंगा की चोटियों का दीदार करने के लिए गए थे, दिसंबर की सर्दियों का वक्त था, एक दिन वह दार्जिलिंग के टाइगर हिल पर सूर्योदय देखने के लिए गए, पहाड़ों से सूरज को निकलता देख उन्होंने ट्रेकिंग करने का फैसला किया लेकिन JRD यह बात भूल गए कि जिन पहाड़ियों पर वह जा रहे हैं, वह माउंट एवरेस्ट है।
किताब के अनुसार, जेआरडी अपनी पत्नी के साथ घोड़े पर सवार होकर टोंगल संदकूफ के लिए दो दिनों के सफर पर निकल पड़े। जब वह 12 हजार फीट ऊपर संदकूफ पहुंचे तो खूबसूरत नजारा देखा लेकिन जबरदस्त ठंड का भी ऐहसास हुआ। संदकूफ के सामने एक लंबी घाटी के अलावा कुछ भी नहीं था। आंखों के सामने चर्च जैसा निर्माण दिखाई दे रहा था, कंचनजंगा तक बादलों की परतें दिखाई दे रही थीं, जो पर्वतों से लिपटी हुईं थीं। लेकिन सर्दियां इतनी ज्यादा थी कि मामूली कपड़ों से उसे रोक पाना संभव नहीं था, लिहाजा रात भर चूल्हे में लकड़ी जलाई और कपड़ों में अखबारों की तह भर ली ताकि खुद को गर्म रखा सके।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि देश को पहली एयरलाइंस देने वाले जेआरडी टाटा, ऐसे पहले भारतीय थे जिन्हें पायलट का सर्टिफिकेट मिला था। पिछले दिनों एयर इंडिया, टाटा ग्रुप के पास फिर से लौट आया है, समूह ने 18 हजार करोड़ रुपये में इसे खरीदा है।