लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार 1 फरवरी, 2024 को अंतरिम बजट पेश करेगी। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार (7 दिसंबर 2023) को कहा था कि 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में कोई बड़ी घोषणा नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह लेखानुदान (Vote on Account) बजट होगा जो लोकसभा चुनाव से पहले आएगा।

वित्त मंत्री ने कहा था कि यह बजट एक वोट ऑन अकाउंट बजट इसलिए होगा क्योंकि हम इलेक्शन मोड में होंगे। इसलिए जो बजट सरकार पेश करेगी, वह सिर्फ नई सरकार बनने से पहले, सभी सरकारी खर्चों को पूरा करने के लिए ही पेश किया जाएगा। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि लेखानुदान (Vote on Account) क्या होता है?

लेखानुदान क्या है और यह अंतरिम बजट से कैसे अलग है?

लेखानुदान (Vote on Account) नया वित्तीय वर्ष शुरू होने तक सीमित अवधि के लिए जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत की संचित निधि से सरकार को दिया जाने वाला एडवांस ग्रांट है। यह सिर्फ सरकारी खर्चों के लिए होता है, इसके तहत सरकार कोई नीतिगत फ़ैसला नहीं करती है, जैसे कर दरों में बदलाव या नई योजनाओं की घोषणा इस अविधि के दौरान नहीं होती है।

अंतरिम बजट और वोट ऑन अकाउंट को लेकर काफी कन्फ़्यूजन रहता है, कई बार इसे एक समझ लिया जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है, यौ दोनों टर्म अलग है।

एक बड़ा अंतर यह है कि वोट ऑन अकाउंट टैक्स सिस्टम को प्रभावित नहीं कर सकता, जबकि अंतरिम बजट इसे बदल सकता है। इसके अलावा अंतरिम बजट में व्यय और प्राप्तियां दोनों शामिल होती हैं जबकि वोट ऑन अकाउंट में केवल सरकार द्वारा खर्च किए जाने वाले फंड को सूचीबद्ध किया जाता है।

अंतरिम बजट पर लोकसभा में चर्चा की जाती है और फिर पारित किया जाता है और वोट ऑन अकाउंट विशेष रूप से व्यय से संबंधित होता है और लोकसभा द्वारा बिना किसी चर्चा के पारित किया जाता है।

अंतरिम बजट पूर्ण बजट के समान होता है लेकिन इसमें केवल कुछ महीनों के लिए अनुमान होता है जबकि लेखानुदान अंतरिम बजट के माध्यम से पारित किया जा सकता है। एक अंतरिम बजट पूरे वर्ष के लिए वैध होता है, दूसरी ओर लेखानुदान आम तौर पर 2 महीने के लिए वैध होता है।