अपने वाहनों में प्रदूषण जांच को चकमा देने वाले उपकरणों के घोटाले में फंसी जर्मनी की प्रमुख वाहन कंपनी फॉक्सवैगन ने स्वीकार किया कि दुनिया भर में उसकी 1.1 करोड़ डीजल कारों में ऐसे उपकरण लगे थे। इस घपले के सामने की मार कंपनी के बाजार पूंजीकरण पर तो पड़ी ही है उसके मुख्य कार्यकारी के भविष्य पर भी सवालिया निशान लग गया है।

जानकार सूत्रों ने बताया कि अमेरिका ने फॉक्सवैगन के खिलाफ आपराधिक जांच शुरू की है। फ्रांस से लेकर दक्षिण कोरिया तक के अधिकारियों ने मामले में जांच की घोषणा की है। इसको देखते हुए कंपनी ने घोषणा की है कि वह तीसरी तिमाही में 7.3 अरब डॉलर का प्रावधान कर रही है ताकि घोटाले के कारण आने वाली किसी संभावित लागत की भरपाई की जा सके।

फॉक्सवैगन के शेयर की कीमत में कल 17 प्रतिशत की गिरावट आई थी। फ्रैंकफर्त शेयर बाजार में वे मंगलवार को 23 प्रतिशत और लुढकर 101.30 यूरो पर आ गए। कंपनी ने अपने मुनाफे परिदृश्य में कमी करने की चेतावनी भी दी जिससे निवेशकों में बेचैनी दिखी।

उल्लेखनीय है कि इस मामले का खुलासा शुक्रवार को अमेरिका की पर्यावरण संरक्षण एजेंसी ने किया था। इसके बाद कंपनी ने स्वीकार किया कि उसने जानबूझकर ऐसे सॉफ्टवेयर लगाए ताकि आधिकारिक उत्सर्जन जांच के इंजिन स्वच्छ मोड पर चला जाए।

फॉक्सवैगन के बयान में कहा गया है,‘मामले की और आंतरिक जांच में सामने आया है कि सम्बद्ध सॉफ्टवेयर अन्य डीजल वाहनों में भी लगाया गया।’

इसके अनुसार,‘दुनिया भर में लगभग 1.1 करोड़ कारों में यह विसंगति पाई गई है। ये वाहन एक विशेष इंजिन वाले हैं।’

इस बीच जर्मनी की चांसलर एंजला मर्केल ने फॉक्सवैगन से मामले में ‘पूरी पारदर्शिता‘ दिखाने को कहा है। इस बीच सूत्रों ने गोपनीयता की शर्त पर एएफपी को बताया कि अमेरिका ने फॉक्सवैगन के खिलाफ आपराधिक जांच शुरू की है। यह जांच न्याय विभाग की पर्यावरण व प्राकृतिक संसाधन इकाई कर रही है।