वीडियोकॉन लोन मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार (24 जनवरी, 2019) को आईसीआईसीआई बैंक की तत्कालीन प्रबंधकीय निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर, वीडियोकॉन समूह के प्रबंधकीय निदेशक वी.एन धूत और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली। आरोप है कि इन सभी आरोपियों ने आपराधिक साजिश के तहत बैंक के साथ धोखाधड़ी की और कुछ निजी कंपनियों के लिए लोन पास कराए।
आरोप है कि ये ट्रांजैक्शन नूपावर रेनवेबल्स प्राइवेट लिमिटेड और वीडियोकॉन समूह के बीच हुए। दीपक कोचर नूपावर कंपनी का काम-काज संभालते थे। इसी बीच, सीबीआई ने वीडियोकॉन के मुंबई व औरंगाबाद स्थित दफ्तरों समेत मुंबई में नरीमन प्वॉइंट स्थइत नूपावर रेनवेबल्स और सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के दफ्तर पर भी छापेमारी की।
इंडियन एक्सप्रेस सबसे पहले इस कथित धोखाधड़ी को उजागर किया था। रिपोर्ट के मुताबिक, धूत ने उस फर्म को करोड़ों रुपए दिए, जो उन्होंने दीपक कोचर व दो अन्य रिश्तेदारों के साथ छह महीनों पर बनाई थी। उससे पहले, साल 2012 में वीडियोकॉन समूह को आईसीआईसीआई बैंक से 3250 करोड़ रुपए का लोन मिला था। यह रकम 40 हजार करोड़ रुपए के उस लोन का हिस्सा थी, जो कि वीडियोकॉन ने 20 बैंकों के कंसोर्टियम से हासिल किया था। उस कंसोर्टियम का नेतृत्व भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) कर रहा था।
धूत ने साल 2010 में पूर्व स्वामित्व वाली कंपनी के जरिए नूपावर को 64 करोड़ रुपए दिए। आगे उन्होंने कंपनी की स्वामित्व महज नौ लाख रुपए में उस ट्रस्ट के नाम ट्रांसफर कर दिया, जिसके मालिक दीपक थे। इसके लगभग छह महीने बाद उन्होंने आईसीआईसीआई बैंक से लोन हासिल किया। 3250 करोड़ रुपए के लोन में लगभग 86 फीसदी पैसा चुकाया नहीं गया था। ऐसे में 2017 में वीडियोकॉन के खाते को नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए घोषित कर दिया गया।

इसी बीच, अक्टूबर 2018 में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इशारों में संकेत दे दिए कि उसने हितों के टकराव, लेन-देन व अन्य मसलों पर आईसीआईसीआई बैंक और चंदा कोचर को क्लीन चिट नहीं दी है। इंडियन एक्सप्रेस ने इस संबंध में आरबीआई से सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत आईसीआईसीआई बैंक और चंदा के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में पूछा था।
जवाब मिला था, “आरबीआई इस मामले को लेकर आईसीआईसीआई बैंक के पीछे लगा है। बाहरी एजेंसियों की जांच पूरी नहीं हो सकी है। ऐसे में जानकारियों का खुलासा करना जांच बैंक की छवि और जांच की प्रगति पर असर डालेगा।” बता दें कि चंदा कोचर ने 4 अक्टूबर को बैंक के एमडी और सीईओ पद से इस्तीफा दे दिया था, जिससे छह महीने पहले एक्सप्रेस ने इस कथित धोखाधड़ी को लेकर रिपोर्ट प्रकाशित की थी।