US Inflation Impact: पिछले कुछ दिनों से एक शब्द जिसकी चर्चा भारत से लेकर यूएस, जापान, ब्रिटेन और चाइना समेत दुनियाभर में हो रही है, वो है- अमेरिका में मंदी (US Inlation)। अमेरिका में मंदी यानी दुनिया भर में आर्थिक उथल-पुथल और संकट। पिछले कुछ सालों में कई बार मंदी की खबरें आ चुकी हैं और अब एक बार फिर अमेरिका में मंदी की आशंका रफ्तार पकड़ रही है और सोमवार (5 अगस्त 2024) को भारतीय शेयर मार्केट खुलते ही इसका असर भी देखने को मिल गया। आज बीएसई सूचकांक सेंसेक्स (Sensex) एक समय 2600 से पॉइन्ट तक गिर गया और एनएसई निफ्टी (Nifty) 790 से ज्यादा अंक धड़ाम हो गया। वहीं जापान के शेयर मार्केट में 1987 के बाद से आज सबसे बड़ी गिरावट आई है। दक्षिण कोरिया में गिरावट का आलम यह रहा कि शेयर बाजार को बंद करना पड़ गया और ट्रेडिंग रोक दी गई।
सबके मन में एक बड़ा सवाल यह है कि आखिर दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी (World’s Largest Economy) अमेरिका में मंदी आई क्यों? इस बड़े और विकसित देश में ऐसा क्या हो गया कि चुनाव से पहले मंदी का खतरा मंडरा गया। चलिए आज हम बात करेंगे इसी बारे में और समझेंगे अमेरिका में मंदी के बड़े कारण कौन से हैं? अमेरिका में आई मंदी से यूएस डॉलर (US Dollar) की वैल्यू भी प्रभावित होने की उम्मीद है जिससे एक्सचेंज रेट, इंटरनेशनल ट्रेडिंग और ग्लोबल इन्वेस्टमेंट पर असर पड़ेगा। ऐसा होने से अर्थव्यवस्था में अस्थिरता आएगी और निश्चित तौर पर भारत समेत दूसरे देशों में भी ग्रोथ के लिहाज से कई चीजों पर असर पड़ेगा।
अमेरिका में मंदी के बड़े कारण
अमेरिका में मंदी की आशंका का सबसे बड़ा कारण है- कमजोर विनिर्माण डेटा। अमेरिका के वॉल स्ट्रीट के शेयरों में आई गिरावट का यह सबसे बड़ा कारण बना। अमेरिका में कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि मंदी के लिए आर्थिक चिंताएं जिम्मेदार हैं। बेरोजगारी के दावे अनुमानों से ज्यादा हैं। बाजार में निवेशकों को यह डर है कि अर्थव्यवस्था कमजोर हो रही है और हम 8 से 12 महीने बाद तक मंदी की तरफ जा सकते हैं।
हालांकि, साल 1980 से लगातार यूएस ने महंगाई दर को एकसमान रखा है और इसमें बहुत बड़ी उथल-पुथल नहीं हुई। लेकिन 2021-2022 में COID-19 महामारी के समय महंगाई दर काफी प्रभावित हुई और यह उम्मीद के मुताबिक नहीं रही।
अनुमान से कम नौकरियां
अमेरिका में बेरोजगारी पर जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, यूएस में पिछले 6 महीने में 1.14 लाख नौकरियां ही क्रिएट हुईं। जो अनुमान से करीब 35 फीसदी कम थी। और वहां बेरोजगारी दर 4.3 प्रतिशत पहुंच गई। यह बेरोजगारी दर अक्तूबर 2021 की तुलना में सबसे ज्यादा है। अमेरिका में पिछले 3 महीने की औसत बेरोजगारी दर पिछले 1 साल की न्यूनतम बेजोरगारी दर 3.6 प्रतिशत से ज्यादा है।
दिसंबर 2021 में यूएस इन्फ्लेशन रेट (US Inflation Rate) 7.0 प्रतिशत रही। और इसकी वजह महामारी की वजह से आई आर्थिक चुनौतियों के चलते फेडरल रिजर्व बैंक द्वारा लागू की गईं नीतियां भी रहीं। सप्लाई चेन में रुकावट, बढ़ती कंज्यूमर डिमांड और एनर्जी प्राइसेज में इजाफे ने अमेरिका की महंगाई में बड़ी भूमिका अदा की है।
हालांकि, इसके बाद फेडरल बैंक ने कुछ ठोस कदम उठाए और इससे महंगाई धीरे-धीरे कम हुई 2022 के आखिर तक यह घटकर 6.5 फीसदी पर आ गई। जुलाई 2023 में अमेरिका में महंगाई दर 3.18 प्रतिशत थी। अगस्त 2023 में यह 3.67 प्रतिशत रही और सितंबर 2023 में 3.70 प्रतिशत थी। जनवरी 2024 में यूएस इन्फ्लेशन रेट 3.1 प्रतिशत तक रह गई। फिलहाल अमेरिका में मई 2024 में महंगाई दर 3.3 प्रतिशत थी।
अमेरिका में महंगाई को Consumer Price Index (CPI) द्वारा मापा जाता है। सीपीआई बेसिक सामान और सर्विसेज को इकट्ठा करके कीमतों को ट्रैक करती है।
भारतीय बाजार में अब आगे क्या?
भारतीय शेयर मार्केट की बात करें तो बाजार फिलहाल अपने पीक पॉइन्ट पर है। यहां आई गिरावट को लेकर पहले भी एक्सपर्ट्स अनुमान जता चुके हैं। शेयर बाजार में कुछ शेयरों का वैल्यूएशन बहुत ज्यादा हो चुका है और इनमें हो सकता है कि इस गिरावट के साथ बड़ा करेक्शन हो।
जापान में 1987 के बाद सबसे बड़ी गिरावट
जापान का शेयर सूचकांक निक्की-225 सोमवार को भारी बिकवाली के कारण 12 प्रतिशत से अधिक लुढ़क गया। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में नरमी के बीच यह गिरावट आई। सूचकांक निक्की 4,451.28 अंक गिरकर 31,458.42 अंक पर आ गया। इसमें शुक्रवार को 5.8 प्रतिशत की गिरावट आई थी। पिछले दो कारोबारी सत्रों में 18.2 प्रतिशत की गिरावट के साथ यह अभी तक की सबसे अधिक दो दिवसीय गिरावट दर्ज कर चुका है। निक्की में अक्टूबर 1987 में 3,836 अंक या 14.9 प्रतिशत की गिरावट आई थी जिसे ‘‘ब्लैक मंडे’’ (काला सोमवार) करार दिया गया था। वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान अक्टूबर 2008 में इसमें 11.4 प्रतिशत की गिरावट आई थी। मार्च 2011 में उत्तर-पूर्वी जापान में आए भीषण भूकंप और परमाणु विगलन के बाद इसमें 10.6 प्रतिशत की गिरावट आई थी। बैंक ऑफ जापान (बीओजे) के बुधवार को अपनी प्रमुख ब्याज दर बढ़ाने के बाद से तोक्यो में शेयर की कीमतों में गिरावट आई है।