लोकसभा में आज विपक्ष ने राजग सरकार द्वारा पेश किये गये आम बजट को गरीब और मध्यम वर्ग विरोधी बताया, वहीं सत्ता पक्ष ने कहा कि इसमें गरीब, मजदूर और किसानों का पूरा ख्याल रखा गया है और उनके हित में कई योजनायें बनायी गयी हैं।
वर्ष 2015-16 के आम बजट और साथ ही वर्ष 2015 16 की लेखानुदान की मांगों और वर्ष 2014 15 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, अन्नाद्रमुक और बीजद जैसे विपक्षी दलों के सदस्यों ने सरकार पर समाज कल्याण और गरीब उन्मूलन कार्यक्रमों पर आवंटन में कमी करने तथा कारपोरेट को प्रोत्साहन देने का आरोप लगाया। उन्होंने इसके साथ ही आयकर की सीमा में कोई छूट नहीं दिए जाने पर भी निराशा जतायी।
कांग्रेस के एम वीरप्पा मोइली ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि वित्त मंत्री अरूण जेटली द्वारा पेश किये गये इस बजट में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के बारे में कोई रोडमैप नहीं बताया गया है कि इसे एक अप्रैल 2016 से किस तरह से लागू किया जायेगा। साथ ही इसमें यह भी नहीं बताया गया कि कोरपोरेट टैक्स में पांच प्रतिशत की कटौती कैसे की जायेगी। उन्होंने कहा कि राजग सरकार द्वारा घोषित किये गये ज्यादातर उपाय संप्रग सरकार के कार्यकाल के दौरान शुरू किये गये थे।
मोइली ने कहा कि बजट में विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) के बारे में कोई चर्चा नहीं की गई है। साथ ही निवेश को बढावा देने के लिए उपायों का भी अभाव है। उन्होंने यह भी कहा कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के मामले में कुछ अच्छी चीजें जरूर की गई है लेकिन अनेक राज्यों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है जबकि राज्यों के बीच असंतुलन नहीं होना चाहिए और हर राज्य के हितों का ध्यान रखा जाना चाहिए।
भाजपा के हुकुमदेव नारायण यादव ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए किसानों, गरीबों और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की दुर्दशा के लिए पूर्ववर्ती सरकारों की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि पिछले छह दशकों में देश में किसानों की संख्या कम हुई है और खेतीहर मजदूरों की संख्या बढ़ी है। उन्होंने कहा कि देश में कृषि योग्य भूमि में भी कमी आयी है और गैर कृषि योग्य भूमि में बढोत्तरी हुई है।
उन्होंने बारह रुपये सालाना पर गरीबों का जीवन बीमा किये जाने और छोटे उद्योगों को बढ़ावा दिये जाने के लिए बजट में की गई घोषणाओं की सराहना की। उन्होंने जाति प्रथा को तोड़ने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता बताई और इसके लिए अंतरजातीय विवाह को बढ़ाने देने और एक राष्ट्रीय सहमति बनाने पर जोर दिया।
हुकुम देव नारायण यादव ने बजट की सराहना करते हुए कहा कि विपक्ष सिर्फ आलोचना के नाम पर इसकी आलोचना कर रहा है। बजट चर्चा में हिस्सा लेते हुए अन्नाद्रमुक के एम थंबी दुरै ने कहा कि यह बजट अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरता।
उन्होंने कहा कि 14वें वित्त आयोग में तमिलनाडू के साथ ठीक बर्ताव नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि एक हाथ से आवंटन बढाया गया वहीं संपत्ति कर को समाप्त करने जैसे प्रावधान कर दूसरे हाथ से राज्यों के संसाधनों में कटौती की जा रही है।
थंबी दुरै ने सरकार पर कॉरपोरेट को मदद करने और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के जरिये विदेशी निवेश हासिल करने पर ध्यान केंद्रीत करने और साथ ही गरीबों और मध्यम वर्ग के लिए प्रोत्साहन में कटौती किये जाने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि बजट में सरकार का इरादा अच्छा हो सकता है लेकिन यह आम आदमी का बजट नहीं बल्कि नौकरशाही वाला बजट है। उन्होंने कहा कि संप्रग और राजग सरकार के बजट में हमें कोई अंतर नजर नहीं आ रहा।
तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने बजट को किसान विरोधी कॉरपोरेट समर्थक बताया और कहा कि इसमें मध्यम वर्ग को कोई राहत नहीं दी गई है। उन्होंने आयकर की सीमा को नहीं बढ़ाये जाने को लेकर सरकार की आलोचना की और इसे एक मध्यम वर्ग विरोधी कदम बताया।
बीजू जनता दल के बी मेहताब ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मध्यम वर्ग को आयकर में कोई कर राहत नहीं दी गई है। इसके बदले बजट प्रस्तावों के रूप में सेल फोन को मंहगा बनाया गया है। उन्होंने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रमों और सर्व शिक्षा अभियान में आवंटन में कटौती किये जाने की आलोचना की।
शिवसेना के आनंदराव अडसूल ने सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना की राशि में बढोत्तरी किये जाने की मांग करते हुए कहा कि इसकी राशि को प्रति वर्ष पांच करोड़ रुपये से बढ़ाकर 25 करोड़ रुपये किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर इस धनराशि में बढ़ोत्तरी की गई तो सांसद प्रधानमंत्री के आदर्श ग्राम योजना में और मदद कर पायेंगे।
तेलगू देशम पार्टी के जयदेव गल्ला ने बिजली संकट का सामना कर रहे आंध्र प्रदेश में एक अल्ट्रा मेगा पावर संयत्र स्थापित करने की मांग की। टीआरएस की के कविता ने कहा कि कारपोरेट ट्रैक्स की दर में कटौती की गई है लेकिन मिड डे मिल, स्वास्थ्य और अन्य सामाजिक उत्थान के कार्यक्रमों के लिए आवंटन में कमी की गई है।
उन्होंने कहा कि इस बजट में कुछ दृष्टि है लेकिन यह दृष्टि कॉरपोरेट से शुरू होकर वहीं समाप्त हो जाती है। उन्होंने कहा कि यह बजट गरीब विरोधी, महिला विरोधी और किसान विरोधी है।
माकपा के पी करुणाकरन ने बजट का विरोध करते हुए कहा कि यह अमीर और कॉरपोरेट को लाभ पहंचाने के नये आर्थिक एजेंडे को आगे बढ़ाता है।