देश में लॉकडाउन की अवधि के दौरान बढ़ी बेरोजगारी की दर अब अनलॉक के साथ ही कम होती दिख रही है। जून में बड़ी संख्या में लोगों के काम पर लौटने के चलते बेरोजगारी की दर में तेजी से गिरावट देखने को मिली है। इसके अलावा लॉकडाउन के नियमों में ढील के चलते मजूदरों की भागीदारी दर में भी इजाफा हुआ है। जून के दूसरे सप्ताह में बेरोजगारी की दर 11.6 पर्सेंट ही रह गई है, जबकि पहले वीक में यह 17.5 फीसदी थी। यही नहीं अप्रैल और मई में बेरोजगारी की दर लगातार 23.5 पर्सेंट बनी हुई थी।
प्राइवेट इकनॉमिक थिंक टैंक CMIE के डेटा के मैनेजिंग डायरेक्टर महेश व्यास ने कहा कि लॉकडाउन लागू होने के दौरान जिस तेजी से बेरोजगारी की दर में इजाफा हुआ था, उसी तरह से अनलॉक के बाद अब तेजी से गिरावट भी आई है। उन्होंने कहा कि 14 जून को समाप्त हुए वीक में लेबर पार्टिसिपेशन रेट 40.4 पर्सेंट हो गया है, जो अप्रैल के पहले वीक में बड़ी गिरावट के साथ 36.1 पर्सेंट रह गई थी। 22 मार्च को लॉकडाउन से पहले समाप्त हुए सप्ताह में लेबर पार्टिसिपेशन रेट 42.6 पर्सेंट था। यही नहीं 26 अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह में लेबर पार्टिसिपेशन रेट 35.4 पर्सेंट तक गिर गई थी।
लेबर पार्टिसिपेशन का अर्थ काम करने वाली आबादी की काम में भागीदारी से है। इस तरह से देखें तो फिलहाल लेबर पार्टिसिपेशन रेट 40.4 पर्सेंट हो गया है, जो लॉकडाउन से पहले के आंकड़े के कुछ हद तक करीब है। लॉकडाउन से पहले 22 मार्च को समाप्त हुए वीक में लेबर पार्टिसिपेशन रेट 42.4 पर्सेंट थी।
दरअसल मार्च के आखिरी वीक में देश में लागू हुए सख्त लॉकडाउन के चलते असंगठित क्षेत्र में बेरोजगारी देखने को मिली थी। इसके बाद फिर अप्रैल में संगठित क्षेत्र में कंपनियों की ओर से बड़े पैमाने पर छंटनी किए जाने की वजह से बेरोजगारी की दर में बड़ा इजाफा हुआ है।