अंतराष्ट्रीय बाजार में मंदी की आहट का प्रभाव अब देश के बड़े स्टार्टअप्स पर दिखने लगा है। निवेशक इन स्टार्टअप्स पर जल्द से जल्द मुनाफे में आने का दबाव डाल रहे हैं। वहीं, ये मुनाफे में आने के लिए अलग- अलग तरकीब निकल रहे हैं। अब देश के सबसे बड़े एडटेक स्टार्टअप में से एक अनएकेडमी ने मुनाफे में आने का नया रास्ता खोजा है और कई ऐलान किए हैं।
मुनाफे का रास्ता: कंपनी ने मुनाफे में आने के लिए अपने खर्चे घटाने का फैसला किया है। कंपनी की ओर से कहा गया है कि अब कर्मचारियों को कंपनी के किसी भी दफ्तर में फ्री खाना और नाश्ते की सुविधा नहीं मिलेगी। इसके साथ ही अब कंपनी की किसी को भी बिजनेस क्लास से ट्रेवल करने की सुविधा नहीं देगी यानी अब सभी कर्मचारियों को इकॉनमी क्लास से ही ट्रेवल करना पड़ेगा।
कंपनी ने टॉप मैनेजमेंट में चीफ एक्सपीरियंस ऑफिसर (CXOs) को एक नियमित ड्राइवर देने की सुविधा को भी खत्म कर दिया है। कंपनी को मुनाफे में लाने के लिए संस्थापकों और मैनेजमेंट की सैलरी में भी कटौती की जाएगी। इसके साथ कंपनी ने घाटे में चल रहे बिजनेस को बंद करने का फैसला किया है।
पांच गुना बढ़ा कंपनी का घाटा: एडटेक स्टार्टअप अनएकेडमी लगातार घाटे से जूझ रही है। वित्त वर्ष 2020- 21 में कंपनी का घाटा 494 फीसदी बढ़कर 1534 करोड़ रुपए पर पहुंच गया था जबकि वित्त वर्ष 2019-20 में कंपनी को 258.6 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। वहीं, कंपनी के खर्चों की बात करें तो वित्त वर्ष 2019-20 में यह 452 करोड़ रुपए था, जो वित्त वर्ष 2020- 21 में 2029 करोड़ रुपए पहुंच गया था।
मंदी की आशंका के चलते दुनिया भर के शेयर बाजारों में गिरावट आई और इसने बड़े स्तर भारतीय स्टार्टअप्स की फंडिंग को प्रभावित किया है। कंपनी के सहसंस्थापक गौरव मुंजाल का कहना है कि समय को देखते हुए ऐसा लगता है कि हमें आने वाले 12- 18 महीने तक कोई भी फंडिंग नहीं मिलने वाली है। कुछ लोगों को लगता है ऐसा अगले 24 महीने तक भी हो सकता है।
बता दें, अनएकेडमी ने अपने निवेशकों से पिछले साल अगस्त में 440 मिलियन डॉलर जुटाए थे। बिजनेस स्टैण्डर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की नई जमाने की कंपनियों जैसे बायजू, ओयो, ओला, जोमैटो, मीशो, कार24, ब्लैकबक, पाइन लैब्स, फ्रेशवर्क्स और रेजरपे जैसे यूनिकॉर्न में निवेशित सिकोइया कैपिटल ने इन स्टार्टअप्स के सीईओ से कहा है कि किसी भी कीमत पर हाइपरग्रोथ का युग अब समाप्त हो चुका है। इस कारण कंपनियों को मुनाफा कमाने पर जोर देना चाहिए।